देवास, सोमेश उपाध्याय। देवास (dewas) में भाजपा-कांग्रेस में महापौर का चेहरा आखिर मंगलवार को साफ हो ही गया। अब तक चल रही अटकलों के मुताबिक सोमवार रात तक पूजा रवि जैन का नाम लगभग तय माना जा रहा था।परंतु आज दोपहर आई सूची के बाद तमाम अटकलों पर विराम लग गया।भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने एक बार फिर राजपरिवार पर भरोसा जताते हुए पैलेस के कट्टर समर्थक दुर्गेश अग्रवाल की पत्नी गीता अग्रवाल के नाम पर अंतिम मुहर लगा दी।
अग्रवाल पूर्व मंत्री व देवास के दिवगन्त महाराज स्व. तुकोजीराव पंवार के न केवक खास बल्कि विश्वस्त समर्थक थे।महाराज के निधन के बाद भी पैलेस यानी राजमहल के प्रति अग्रवाल का विश्वास और समर्पण बरकरार रहा।यही कारण है कि देवास विधायक गायत्रीराजे पंवार अग्रवाल के नाम पर अड़ी रही।अग्रवाल का राजनीति सफ़र महाराज तुकोजीराव पंवार के इर्दगिर्द ही घूमता रहा,वे लंबे अरसे से विधायक प्रतिनिधि थे। पूर्व में देविप्रा के उपाध्यक्ष भी रहे। और चामुंडा भक्त मण्डल से भी जुड़े रहे। अग्रवाल की पत्नी गीता अग्रवाल में राजनीतिक अनुभव की कमी है,परन्तु वे धार्मिक सामाजिक संगठनों से सतत जुड़ी रही।श्रीमती अग्रवाल के नाम की घोषणा के बाद जिलाध्यक्ष राजीव खंडेलवाल ने भी बधाई दी।खंडेलवाल की पत्नी पूर्णिमा खंडेलवाल भी मैदान में थी।पत्नी का टिकट कटने के सवाल पर उन्होंने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से उनकी चर्चा हो चुकी है।उन्होंने गाइडलाइन का हवाला देते हुए पत्नी के नाम पर चर्चा नही होना बताया था और विकल्प के तौर पर अन्य नाम मांगे थे।
3 वर्ष पूर्व ऐनवक्त पर कटा था टिकट, जिलाध्यक्ष का फाइनल हुआ था नाम
3 वर्ष पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष की रायशुमारी के दौरान भी अग्रवाल का नाम पैनल में सबसे ऊपर था। अग्रवाल के किए विधायक श्रीमंत पंवार ने खूब प्रयास किए थे। उस समय अग्रवाल के नाम की घोषणा के बावजूद अगले दिन ऐनवक्त पर अग्रवाल का नाम कटा था और राजीव खंडेलवाल जिलाध्यक्ष बने थे।
पैलेस विरोधीयो से रहेगा बगावत का डर
देवास शहर में पैलेस का रुतबा जगजाहिर है,परन्तु भाजपा का ही एक धड़ा पैलेस का विरोधी है। ऐसे में भाजपा प्रत्याशी गीता अग्रवाल को पैलेस विरोधियों से बगावत का डर रहेगा।देवास के पूर्व महापौर शरद पाचुनकर भी अपनी पत्नी के लिए टिकट की मांग कर रहे थे।उन्होंने भी सीएम शिवराज व प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा से मुलाकात की थी।पाचुनकर पूर्व में भी विधानसभा व महापौर का निर्दलीय चुनाव लड़ चुके है।वही वरिष्ठ नेता दिलीप बांगर ने भी अपनी पत्नी आशा बांगर के लिए दावेदारी की थी।हालांकि अभी तक किसी भी बागी उम्मीदवार ने ताल नहीं ठोंकी है, लेकिन कहा जा रहा है कि खुलकर भले ही सामने न आए लेकिन छिपकर जरुर खेल बिगाड़ेंगे।