बागली,सोमेश उपाध्याय
अयोध्या में लंबे संघर्ष के बाद भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर मन्दिर निर्माण का स्वप्न साकार हो रहा है। इस आंदोलन में असंख्य कारसेवकों के बलिदान को नही भुलाया जा सकता। मन्दिर आंदोलन व कारसेवा से जुड़ी एक कहानी बागली में भी है।
कृषक रामेश्वर गुप्ता के यहां 21 नवम्बर 1992 को बेटे का जन्म हुआ, लेकिन उन्हें कार सेवा का इतना जुनून था कि वे अपने नवजात बेटे को अस्पताल में ही छोड़ 24 नवम्बर को कार सेवा के लिए अयोध्या कूच कर गए और 13 दिन बाद जब अयोध्या से वापस घर लौटे तो उन्होंने अपने बेटे का नाम ही अवध रख दिया। ये बताते हैं कि कार सेवा के दौरान उनके साथ बागली के ही वरिष्ठ अधिवक्ता कांतीलाल चौधरी, शंकरलाल सेन, रमेशचंद्र माकडिया, शंकरलाल राठौर, देवेन्द्र उपाध्याय, सरस्वती शिशु मंदिर के तत्कालीन प्रधानाचार्य जयपालसिंह चावड़ा, महेंद्र तंवर, सुभाष पंचोली, मुरली अजमेरा, गणपतसिंह गोयल आदि भी जत्थे में शरीक थे। कार सेवा के दौरान सभी कारसेवकों को भूख, प्यास सहित कई तरह की विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ा, लेकिन वे अपने लक्ष्य व आस्था से विचलित नहीं हुए।