ज्ञापन देने गए पहुंचे कांग्रेसियों से नहीं मिले कलेक्टर तो बैठ गए धरने पर

देवास,सोमेश उपाध्याय। आज दोपहर में देवास कलेक्ट्रेट में ज्ञापन देने गए शहर कांग्रेस अध्यक्ष और कलेक्टर चन्द्रमौलि शुक्ल के बीच जम कर बहसबाजी हुई। दरअसल हाटपिपलिया उपचुनाव में कोविड 19 प्रोटोकॉल के चलते किसी भी सभा रैली या अन्य कार्यक्रम में 100 से अधिक लोगों की अनुमति नहीं दी जा सकती। किंतु गत दिवस हाटपिपलिया में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की सभा में अनुमति के विरुद्ध हजारों लोग जुटे थे। नियमानुसार 100 लोगों की ही अनुमति थी।

प्रशासन द्वारा वीडियो फुटेज के आधार पर कार्यक्रम के आयोजक हाटपिपलिया ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष छगनलाल मिस्त्री पर 188 कोविड के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया। मामले को लेकर देवास शहर कांग्रेस अध्यक्ष मनोज राजानी देवास कलेक्टर को ज्ञापन देने पहुंचे जहां पर कोई ज्ञापन लेने नहीं मिला तो राजानी ने कार्यकर्ताओं के साथ कलेक्ट्रेट में धरने पर बैठ गए और रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीताराम सबको सन्मति दे भगवान ये भजन गाना शुरू कर दिया। बाद में माहौल गरमाता हुआ देख अधिकारी मौके पर पहुंचे और ज्ञापन लिया। ज्ञापन देने के बाद राजानी द्वारा कहा गया कि क्या नियम हमारे द्वारा ही तोड़ा गया है। इसके पूर्व में भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सभा हुई है तो इनके आयोजकों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई। यह एक तरफा कार्रवाई क्यों की जा रही है । राजानी ने कहा कि वे चुनाव आयोग को भी पत्र लिखेंगे।


About Author
Gaurav Sharma

Gaurav Sharma

पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।