किसने सीएम की तस्वीर के आगे गाई आरती,”कष्ट हरो मामा”।

Gaurav Sharma
Published on -

देवास, शकील खान। देवास में अपनी मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन कर रहे चामुंडा स्टैंडर्ड मिल के मजदूरों ने बुधवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की आरती की। यहीं नहीं इस दौरान मजदूरों ने “जय शिवराज मामा, हमारे कष्ट हरो शिवराज मामा, जय शिवराज मामा” आरती भी गाई। उनका कहना था, कि प्रदेश के मुखिया ही अब हमारा उद्धार कर सकते हैं।दअरसल अपनी मांगों को लेकर चामुंडा स्टैंडर्ड मिल के मजदूर कंपनी गेट के सामने 11 नवंबर से धरना-प्रदर्शन कर रहें हैं। उनका कहना था कि स्थानीय प्रशासन से हम अपनी मांगों को लेकर कई बार शिकायत कर चुके हैं। बावजूद इसके आज दिनांक तक हमारी समस्या का कोई निराकरण नहीं हुआ।धरना-प्रदर्शन कर रहें इन मजदूरों ने बुधवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तस्वीर धरना स्थल पर रखकर उनकी आरती की। मजदूरों ने इस दौरान जय शिवराज मामा, हमारे कष्ट हरो शिवराज मामा, जय शिवराज मामा आरती भी गाई।

मजदूर केशर सिंह गुर्जर ने बताया कि शिवराज सिंह चौहान हमारे प्रदेश के मुखिया हैं और वहीं अब हमारा उद्धार कर सकतें हैं। इसलिए आज हमने उनकी आरती की हैं। केशर सिंह ने कहा कि मिल 2013 से बंद होने की वजह से हम परेशान हैं। हम सब श्रमिकों का जब से ही पैसा अटका हुआ है।

कंपनी ने धीरे-धीरे सभी मशीनें बेच दीं और अब जमीन भी बेच दी। जिस पर काॅलोनी बनाई जा रही है, लेकिन कंपनी प्रबंधन द्वारा हमारा हिसाब नहीं किया जा रहा है। मामले की शिकायत स्थानीय प्रशासन से कई बार कर चुके हैं, फिर भी हमारी समस्या के निराकरण के लिए किसी ने प्रयास नहीं किया।

 

 


About Author
Gaurav Sharma

Gaurav Sharma

पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

Other Latest News