विश्व आदिवासी दिवस: प्रकृति प्रेमी आदिवासी अपने माटी से दूर आखिर क्यों हैं मजबूर

बागली, सोमेश उपाध्याय

जल, जंगल और जमीन आरंभ से आदिवासी (जनजाति) जीवन से जुड़ा रहा है| समय के साथ-साथ बदलाव हुए हैं आैर यह समाज भी बदला है| बागली विधानसभा में आदिवासीयो की संख्या अनुमानित 45 फीसदी है। जिसमे कोरकू, भील, गोंड, समुदाय के लोग प्रमुख रूप से रहते है। वैसे आदिवासी(जनजाति)समाज प्रकृति प्रेमी होता है। और अपनी माटी से सर्वाधिक लगाव रखता है। परन्तु आदिवासी बाहुल्य बागली विधानसभा के आदिवासी समाज के युवा,बुजुर्ग, महिला अपनी माटी छोड़ पलायन को मजबूर है| क्योंकि बागली विधानसभा में रोजगार एक प्रमुख मुद्दा है।


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न्यूज डेस्क, Mp Breaking News

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