नशे में धुत महिला ने आपसी रंजिश के चलते झुग्गियों को किया आग के हवाले, लाखों का सामान जल कर खाक

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट।  प्रदेश की राजधानी भोपाल (Bhopal) से आपसी रंजिश (Personal Grudges) के चलते दो झुग्गी जलाने का मामला सामने आया है, जहां एक महिला ने शराब पीकर (Drunken Women) दो झुग्गियों (set fire in slums) को आग के हवाले कर दिया। आग लगने से झुग्गियों में रखा सिलेंडर (Gas Cylinder) फट गया, जिसके कारण आग बेकाबू  हो गई और जिसके चलते लाखों का सामान जलकर खाक हो गया। गनीमत रही कि झुग्गियों में रह रहे लोगों को इस वारदात की जानकारी पहले ही लग गई और उन्होने समय रहते झग्गी से बाहर निकल कर अपनी जान को बचा लिया (Saved lives)। यह पूरा मामला राजधानी भोपाल के छोला क्षेत्र के चांदी बाड़ी का है, जहां  दारू पीकर एक महिला ने झुग्गी में आग लगा दी। आग लगने से  झुग्गियों में रखी 2 गाड़ी समेत लाखों का सामान जलकर खाक हो गया।

बता दें कि दोनों झुग्गियों में रहने वाले भाइयों को महिला मारना चाहती थी, क्योंकि उन भाइयों के साथ महिला का आए दिन विवाद होता रहता था। दुश्मनी में महिला इतनी पागल हो गई कि उसने दोनों भाइयों को जलाकर खाक करने की कसम खा ली। महिला को झुग्गी में आग लगाते हुए कुछ बच्चों ने देख लिया, जिसके चलते हैं झुग्गी में रह रहे सभी लोग बाहर आ गए और उन्होंने अपनी जान बचा ली।  झुग्गी में आग लगाकर महिला भागने लगी कि इतने में रहवासियों ने उसके पकड़ लिया और उसकी जमकर पिटाई की। पूरी वारदात की खबर तुंरत पुलिस को दी गई, जिसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने महिला को गिरफ्तार कर लिया और उसे थाने ले आई।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।