मध्य प्रदेश (MP) में मानसून की शुरुआत हो चुकी है। लगभग सभी जिलों में बारिश ने दस्तक दे दी है। कई स्थानों पर तो ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है कि नदी और नाले उफान पर आ चुके हैं। सड़कों पर जल भराव की स्थिति बनने लगी है। मौसम विभाग की मानें तो पूरे हफ्ते राज्य भर में बादल और बारिश की स्थिति बनी रहेगी।
बात करें खेती की तो जुलाई का महीना मध्य प्रदेश में खरीफ फसलों की बुआई के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, अरहर, सोयाबीन, मूंगफली, कपास, जूट, कुसुम की बुआई की जा सकती है।

खरीफ फसलों की बुआई
इस मौसम में अनाज, दाल और तिलहन फसलों की बुवाई की जाती है। इस समय मानसून सक्रिय रहता है, ऐसे में मिट्टी को जरूरी नमी मिल जाती है, जिससे फसल अच्छी तरह से अंकुरित हो पाते हैं। जुलाई की शुरुआत यानी मानसून शुरू होते ही इसकी बुवाई शुरू कर दी जाती है, क्योंकि इसकी खेती के लिए ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है। ऐसे में जहां सिंचाई के संसाधन उपलब्ध है, वहां किसान धान की खेती करते हैं। जिससे उन्हें बेहतर लाभ मिलता है।
सही समय
वहीं, मक्का भी जून से जुलाई के बीच बुवाई करने पर अच्छा खासा मुनाफा देता है। इसके अलावा, ज्वार और बाजार मोटे अनाज की गिनती में आते हैं। इन्हें मानसून के मौसम में लगाना किसानों के लिए फायदेमंद होता है। बता दें कि इन सभी की खेती किसानों को सही समय पर कर लेनी चाहिए, ताकि समय पर इसकी कटाई हो सके। इन फसलों से किसानों को बहुत लाभ होता है।
जानें तकनीक
खेती के दौरान किसानों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जमीन बिल्कुल एक समान यानी कि समतल हो। इसके अलावा, भूमि का भुरभुरा होना भी जरूरी है, ताकि बीज अच्छे से अंकुरित हो जाएं और समय से पक सके। किसान प्रदेश और केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले संसाधनों का भी उपयोग कर सकते हैं, ताकि उन्हें अधिक-से-अधिक लाभ हो सके।