Sat, Dec 27, 2025

इस शहर में बनेगा MP का पहला फ्रूट फॉरेस्ट, महिलाओं के हाथों में होगी हरियाली की कमान!

Written by:Sanjucta Pandit
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आज हम आपको उस शहर के बारे में बताएंगे, जहां एमपी का पहला फ्रूट फॉरेस्ट बनेगा, जिसमें 10 लाख पौधों की प्लांटेशन होगी। सबसे खास बात यह होगी कि यहां की पूरी देखरेख महिलाओं के जिम्मे में होगी।
इस शहर में बनेगा MP का पहला फ्रूट फॉरेस्ट, महिलाओं के हाथों में होगी हरियाली की कमान!

भारत का दिल कहे जाने वाले मध्य प्रदेश (MP) में एक से बढ़कर एक घूमने फिरने वाले स्थान हैं। यहां की अनोखी परंपरा, भाषा शैली, खानपान, रहन-सहन, पहनावा-उढ़ावा सब कुछ इसे बाकी राज्यों से अलग बनाता है। कई मायनों में यह अन्य सभी प्रदेशों से हटकर है। यहां खाने-पीने के लिए लाजवाब व्यंजन मिलते हैं, तो यहां पर राजनीति सक्रियता भी काफी अधिक है। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा आए दिन लोगों के हित में फैसले लिए जा रहे हैं।

आज हम आपको उस शहर के बारे में बताएंगे, जहां एमपी का पहला फ्रूट फॉरेस्ट बनेगा, जिसमें 10 लाख पौधों की प्लांटेशन होगी। सबसे खास बात यह होगी कि यहां की पूरी देखरेख महिलाओं के जिम्मे में होगी।

सागर

मध्य प्रदेश अब केवल खेती और शिक्षा के लिए देशभर में जाना जाएगा, बल्कि यहां राज्य का पहला फ्रूट फॉरेस्ट भी अपनी अलग पहचान बनाने जा रहा है। जुलाई महीने से सागर जिले में 10 लाख पौधों का रोपण शुरू किया जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य हरियाली बढ़ाने के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करना और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है। इसके लिए राज्य सरकार द्वारा सभी प्रकार की तैयारी लगभग पूरी कर ली गई है।

फ्रूट हब

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश प्रशासन ने पहले चरण के तहत जिले के चार विकास खंडों को चिन्हित किया है। इन सभी क्षेत्रों में लगभग 1 लाख पौधे लगाए जाएंगे। शुरुआत में 30-30 हजार पौधे रोपण किए जाएंगे। इसके अगले 2 से 3 साल में सागर जिले को मध्य प्रदेश का पहला फ्रूट हब बना दिया जाएगा जो सरकार का मुख्य लक्ष्य है। जिसकी देखरेख की पूरी जिम्मेदारी स्वयं सहायता समूह की महिला सदस्यों को सौंप दी जाएगी। इसके लिए पहले उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि उन्हें आजीविका का साधन भी मिल सके।

होगी देखरेख

बता दें कि मध्य प्रदेश के पहले फ्रूट फॉरेस्ट में अमरूद, जामुन, नींबू, कटहल, आम जैसे फलों के पौधे लगाए जाएंगे। वहीं, सिंचाई के लिए अटल भू-जल योजना के तहत इरिगेशन सिस्टम का उपयोग किया जाएगा। इसके अलावा, वर्मी कंपोस्ट और कार्बनिक उर्वरक तैयार किए जा रहे हैं, जिसकी मदद से इन पौधों की अच्छे से देखरेख की जाएगी।