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Sun, Dec 7, 2025

“गवाह डगमगाए तो न्याय असंभव” शिवाय अपहरण कांड में मां के बयान के बाद DSP संतोष पटेल का पोस्ट, पूछा “क्या अकेले पुलिस न्याय दिला सकती है?”

Written by:Ankita Chourdia
ग्वालियर के चर्चित 6 वर्षीय शिवाय अपहरण मामले में नया मोड़ आ गया है। पीड़ित बच्चे की मां ने कोर्ट में आरोपियों को पहचानने से इनकार कर दिया, जिसके बाद पुलिस की मेहनत पर पानी फिरता नजर आ रहा है। इस पर डीएसपी संतोष पटेल ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पुलिस अकेले न्याय नहीं दिला सकती।
“गवाह डगमगाए तो न्याय असंभव” शिवाय अपहरण कांड में मां के बयान के बाद DSP संतोष पटेल का पोस्ट, पूछा “क्या अकेले पुलिस न्याय दिला सकती है?”

ग्वालियर के बहुचर्चित 6 वर्षीय शिवाय अपहरणकांड में बुधवार को एक बड़ा और चौंकाने वाला मोड़ आया। इस हाई-प्रोफाइल मामले की सुनवाई के दौरान पीड़ित बच्चे की मां और मुख्य फरियादी आरती गुप्ता ने ट्रायल कोर्ट में अपने बयान बदल दिए। आरती ने अदालत के सामने स्पष्ट कहा कि वे मौजूद आरोपियों को नहीं पहचानती हैं। उनके इस बयान ने अभियोजन पक्ष के सामने एक बड़ी कानूनी चुनौती खड़ी कर दी है, जिससे साल भर पुरानी पुलिस की मेहनत पर सवालिया निशान लग गए हैं।

आरती गुप्ता ने अदालत में दावा किया कि पुलिस ने उन्हें घटना के बाद न तो कोई सीसीटीवी फुटेज दिखाया और न ही आरोपियों की शिनाख्त करवाई। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनसे केवल कागजों पर हस्ताक्षर करवाए थे। उनका कहना था, “मुझसे सिर्फ साइन कराए गए, मुझे कुछ नहीं दिखाया गया।” उन्होंने यह भी कहा कि एफआईआर का ड्राफ्ट उनकी कही बातों से अलग था और वे पुलिस की कार्यवाही से संतुष्ट नहीं हैं।

क्या था पूरा मामला?

घटना 13 फरवरी की सुबह की है, जब आरती अपने बेटे शिवाय को पैदल स्कूल छोड़ने जा रही थीं। मुरार के सीपी कॉलोनी क्षेत्र में बाइक सवार दो युवकों ने उनकी आंखों में मिर्ची झोंक दी और दिनदहाड़े बच्चे का अपहरण कर लिया था। इस घटना ने पूरे शहर में सनसनी फैला दी थी। उस वक्त पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 48 घंटे का सघन अभियान चलाया था।

ग्वालियर पुलिस, मुरैना पुलिस और स्पेशल फोर्स के जवानों ने गांव-गांव सर्च ऑपरेशन चलाया था। पुलिस के भारी दबाव के चलते बदमाश बच्चे को छोड़ने पर मजबूर हुए थे। इस मामले में पुलिस ने राहुल गुर्जर, बंटी गुर्जर, मास्टरमाइंड भोला गुर्जर, मोनू, भूरा गुर्जर, धर्मेंद्र गुर्जर और राहुल कंसाना जैसे आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इसे पुलिस की बड़ी सफलता माना गया था।

DSP संतोष पटेल की तीखी प्रतिक्रिया

मां के बयान पलटने के बाद इस केस में सक्रिय भूमिका निभाने वाले डीएसपी संतोष पटेल ने सोशल मीडिया पर अपनी निराशा व्यक्त की। उन्होंने Facebook पर लिखा कि गवाहों का डगमगाना न्याय के रास्ते में सबसे बड़ा रोड़ा है।

“यह बहुत बड़ा मुद्दा है जो न्याय के रास्ते में रोड़ा बनता है। जब कोई पीड़ित पक्ष कोर्ट में अभियोजन के विपरीत बयान देता है, तो यही लगता है कि वह नैतिक दुविधा में है। पुलिस अकेले न्याय नहीं दिला सकती। जिसे न्याय चाहिए, उसे पुलिस के साथ खड़ा होना पड़ेगा और कोर्ट के सामने अडिग रहना पड़ेगा।” — संतोष पटेल, डीएसपी

डीएसपी पटेल ने याद दिलाया कि कैसे बच्चे की सकुशल वापसी के लिए डीआईजी, आईजी, एसपी से लेकर हजारों जवान दिन-रात एक कर रहे थे। जनता ने भी सोशल मीडिया पर दबाव बनाया था। उन्होंने कहा कि बच्चा इसलिए बच गया क्योंकि जनता और प्रशासन साथ थे, लेकिन कोर्ट में जब गवाह टूटते हैं तो सच्चाई हार जाती है।

अभियोजन के सामने अब क्या विकल्प?

मुख्य गवाह के मुकर जाने (Hostile) से अभियोजन पक्ष की राह बेहद मुश्किल हो गई है। अब पुलिस को तकनीकी सबूतों पर निर्भर रहना पड़ सकता है। इसमें सीसीटीवी फुटेज, कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स (CDR) और रिकवरी के दौरान मिले साक्ष्य अहम भूमिका निभा सकते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कोर्ट स्वतंत्र गवाहों और वैज्ञानिक सबूतों के आधार पर फैसला सुनाता है या नहीं। यह मामला अब केवल एक अपहरण केस नहीं, बल्कि न्याय प्रणाली में गवाहों की भूमिका पर भी एक बड़ा सवाल बन गया है।