आखिर DSP ने क्यों जोड़े हाथ और कहा अपना नहीं तो बच्चे का ख्याल कीजिये

ग्वालियर, अतुल सक्सेना। कोरोना संक्रमण (Corona infection) के एक बार फिर बढ़ने के बाद सख्त हुए जिला प्रशासन (District Administration) और पुलिस प्रशासन (Police Administration) के अधिकारी जहाँ सख्ती दिखा रहे हैं वहीं कहीं कहीं नरमी भी बरत रहे हैं। ऐसी ही एक तस्वीर सामने आई है जिसमें एक डीएसपी (DSP) स्तर का अधिकारी बिना मास्क (Without Mask) लगाए महिला के सामने हाथ जोड़कर कह रहे हैं अपना नहीं तो बच्चे का ध्यान रखें।

दरअसल पिछले कुछ दिनों में मध्यप्रदेश के अन्य शहरों की तरह ग्वालियर में भी कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है जिसके बाद जिला प्रशासन ने सख्ती दिखाई है। कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी कौशलेंद्र विक्रम सिंह के आदेश के बाद पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों की संयुक्त टीम अब शहर के अलग अलग हिस्सों में लोगों को मास्क लगाने का निवेदन कर रही हैं और जहाँ जरूरत महसूस हो रही हैं वहाँ जुर्माना भी वसूल रहे हैं इसी दौरान शहर के हृदय स्थल महाराज बबाड़े पर एक अलग ही तस्वीर देखने को मिली जहाँ डीएसपी ट्रैफ़िक नरेश अन्नोटिया लोगों से हाथ जोड़कर मास्क लगाने की अपील करते दिखाई दिये। वे लोगों से मास्क लगाने का निवेदन करने के साथ साथ उन्हें मास्क भी दे रहे थे। इसी दौरान डीएसपी को एक महिला अपने बच्चे को गोद में लिए बिना मास्क पहने जाती दिखी। डीएसपी अन्नोटिया ने महिला को रोका उससे हाथ जोड़कर पूछा कि मास्क क्यों पहना, महिला ने जवाब दिया घर पर भूल आई हूँ। उसके बाद डीएसपी ने महिला से हाथ जोड़कर निवेदन किया कि अपना नहीं तो कम से कम इस मासूम का तो ख्याल करो । उसके बाद पुलिस अफसर ने महिला और उसके बच्चे के लिए मास्क दिये। उन्होंने महाराज बाड़े पर बिना मास्क घूम रहे लोगों को मास्क वितरित किये और उसे लगाने की अपील की। साथ ही जो लोग इस निवेदन के बाद भी मास्क के प्रति लापरवाह दिखे उनके खिलाफ जुर्माने की कार्रवाई की। डीएसपी के इस व्यवहार की लोग प्रशंसा कर रहे हैं।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....