ग्वालियर। अतुल सक्सेना| मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में कांग्रेस (Congress) की कमलनाथ सरकार में सबसे पहली राजनैतिक नियुक्ति पाकर चर्चा में आये दिग्विजय समर्थक नेता एवं कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक सिंह (Ashok Singh) की मुश्किलें बढ़ गई हैं। उनका अपैक्स बैंक का प्रशासक बना रहना खतरे में पड़ गया है क्योंकि जिस सहकारी संस्था की सदस्यता के आधार पर वे प्रशासक बने थे उस संस्था ने अशोक सिंह की प्राथमिक सदस्यता ही समाप्त कर दी है।
कार्यालय उपायुक्त सहकारिता ग्वालियर द्वारा आयुक्त सहकारिता, एवं पंजीयक, सहकारी संस्थाएँ मध्यप्रदेश भोपाल को जारी पत्र में जानकारी दी गई है कि डी व्ही एम बीज उत्पादक सहकारी संस्था मर्यादित ईटमा तहसील चीनौर जिला ग्वालियर के सदस्य अशोक सिंह निवासी ग्राम लदवाया तहसील चीनौर ग्वालियर हाल निवासी बंगला नंबर 19 गांधी रोड को मध्यप्रदेश सहकारी सोसाइटी अधिनियम 1960की धारा 19(सी) 2 के अंतर्गत निष्कासित किये जाने हेतु कार्यालय के पत्र से संस्था को दिये गए अध्यपेक्षा पत्र के पश्चात की गई कार्यवाही का विवरण चाहा गया है। पत्र में कहा गया कि संस्था को जारी अध्यादेश पत्र के पालन में संस्था संचालकमंडल द्वारा 20 जून 2020 को बैठक आयोजित कर प्रस्ताव ठहराव पारित किया गया था कि अशोक सिंह की सदस्यता संस्था की उपविधि क्रमांक 8(क) 1 के विरुद्ध है क्योंकि अशोक सिंह बंगला नंबर 19 गांधी रोड ग्वालियर के निवासी है जो की संस्था के कार्य क्षेत्र में नहीं आता। जो कि संस्था की उपविधि 8(क) 1 एवं मप्र सहकारी सोसाइटी अधिनियम की धारा 1960 की धारा का उल्लंघन किये जाने से उनकी प्राथमिक सदस्यता संचालकमंडल की बैठक के ठहराव क्रमांक 1 से समाप्त की जाती है।
गौरतलब है कि कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं दिग्विजय समर्थक नेता अशोक सिंह को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपैक्स बैंक का प्रशासक बनाया था और ये कांग्रेस सरकार में किसी भी नेता की पहली राजनैतिक नियुक्ति थी। उनकी नियुक्ति के बाद से इसे खिलाफ शिकायतें शुरू हो गई थी। पूर्व विधायक रसाल सिंह ने अशोक सिंह की नियुक्ति को चुनौती देते हुए भोपाल के टीटी नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से भी मामले की जांच कराने का निवेदन किया था। शिकायत में रसाल सिंह ने अशोक सिंह पर गलत दस्तावेज के आधार पर पद पाने के आरोप लगाए थे। इसी बीच भाजपा की सरकार बनते ही शिवराज सरकार ने ये सभी नियुक्तियाँ कैंसिल कर दी थी। लेकिन अशोक सिंह कोर्ट चले गए थे जहाँ से उन्हें राहत मिल गई थी। लेकिन अब जब जिस संस्था के आधार पर अशोक सिंह प्रशासक के पद तक पहुंचे उसने ही उनकी सदस्यता समाप्त कर दी है तो अशोक सिंह का अपैक्स बैंक का प्रशासक पद खतरे में पड़ गया है। माना जा रहा है कि अब उनसे ये पद छिन सकता है।