ग्वालियर/अतुल सक्सेना
शहर की झांसी रोड थाना पुलिस ने सहारा अस्पताल के संचालक डॉ भल्ला की शिकायत पर दिग्विजय सिंह समर्थक कांग्रेस नेता ब्रजमोहन सिंह परिहार और उनकी पत्नी रश्मि परिहार के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया है। डॉ भल्ला ने शिकायत की है कि परिहार पति पत्नी ने शासकीय जमीन पर निर्माण को अपना बताकर उसे किराये पर दिया और 22 साल तक किराया वसूलते रहे।
ग्वालियर की पॉश कॉलोनी बसंत विहार कॉलोनी में स्थित डॉ ए एस भल्ला के सहारा अस्पताल को तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने दिसंबर 2019 में अतिक्रमण मानते हुए तोड़ दिया था। तभी से ये मामला राजनैतिक हलकों में चर्चा का विषय है। कहा ये गया कि दिग्विजय सिंह समर्थक ब्रज मोहन सिंह परिहार और वरिष्ठ नेत्री रश्मि परिहार के इशारे पर और सरकार के दबाव में ये कार्रवाई की गई। लेकिन प्रशासन ने कहा कि शिकायत की जांच और न्यायालय में प्रस्तुत दस्तावेजों के आधार पर कार्रवाई की गई है।
इस मामले में अब नया मोड आ गया है। अस्पताल टूटने के बाद अस्पताल संचालक डॉ ए एस भल्ला ने दिग्विजय सिंह समर्थक नेता एवं प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष ब्रज मोहन सिंह परिहार और उनकी पत्नी वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री रश्मि परिहार के खिलाफ झांसी रोड थाना पुलिस में धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया है। डॉ भल्ला ने 01 मई 2020 को लिखित आवेदन झांसी रोड थाने में दिया था जिसकी जाँच पर से 14 जुलाई को कांग्रेस नेता ब्रज मोहन सिंह परिहार और उनकी पत्नी रश्मि परिहार के खिलाफ पुलिस ने FIR दर्ज की है। अपनी FIR में डॉ भल्ला ने कहा कि 1997 में उन्होंने ब्रज मोहन सिंह परिहार और उनकी पत्नी रश्मि परिहार निवासी 19A बसंत विहार का एक हिस्सा किराये पर लिया था। भवन के इस हिस्से को पति पत्नी ने अपने स्वामित्व का बताकर मौखिक अनुबंध के आधार पर किराये पर दे दिया। इस भवन में सहारा अस्पताल का संचालन उन्होंने किया जिसका किराया 22 साल तक परिहार दंपति लेते रहे। इस बीच परिहार दंपति ने भवन खाली करने के लिए 2004 में न्यायालय में दावा लगाया और जमीन को अपना बताया। लेकिन दस्तावेजी साक्ष्य के आधार पर 2016 में कांग्रेस नेता परिहार दंपति का दावा खारिज हो गया और फैसला उनके पक्ष में गया। इसके बाद मामला हाई कोर्ट पहुँच गया जो लंबित है। FIR में डॉ भल्ला ने कहा कि जब प्रदेश में कांग्रेस कि सरकार आई तो नवंबर 2019 में नगर निगम के भवन अधिकारी के माध्यम से दोनों पक्षों को बेदखली का नोटिस भेजकर भवन के दस्तावेज मांगे गए मेरे पास थे नहीं और जब मैंने मांगे जो नहीं दिये गए। मामला 27 नवंबर 2019 को न्यायालय पहुंचा इसकी सूचना न्यायालय को दी गई जिसमें 30 नवंबर 2019 को उन्हें 5 दिसंबर 2019 तक के लिए स्थगन मिल गया। 6 दिसंबर को प्रशासन ने अस्पताल में तोडफोड़ कर दी। मामला फिर न्यायालय पहुंचा जिसमें 16 दिसंबर स्थगन बढ़ा दिया गया जिसके बाद कार्रवाई रोक दी गई। इस दौरान न्यायालय में नगर निगम ने दस्तावेजी साक्ष्य दिये कि जिस जमीन पर अस्पताल वाला भवन बना है वो जगह सरकारी पार्क की है।इस बात का खंडन या अपने मालिकाना हक वाले कोई दस्तावेजी साक्ष्य परिहार दंपति न्यायालय मन नहीं दे पाए। इसी आधार पर शिकायत करते हुए डॉ भल्ला ने मीडिया से कहा कि कांग्रेस नेता ब्रज मोहन परिहार और उनकी पत्नी रश्मि परिहार ने उनके साथ धोखा करते हुए ये कृत्य किया है, वे सरकारी अतिक्रमण की गई पार्क की जमीन पर भवन बनाकर 22साल तक उनसे किराया वसूलते रहे।डॉ भल्ला ने दावा किया कि अस्पताल वाले भवन और जिस भवन में कांग्रेस नेता रहते हैं उसका कुछ हिस्सा से बावड़ी के ऊपर बना है। सरकारी बावड़ी और कुये के कुछ अवशेष तो अभी भी वहाँ मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि ब्रज मोहन सिंह पनि और उनकी पत्नी रश्मि परिहार ने सिर्फ मेरे साथ ही धोखाधड़ी नहीं की बल्कि शासकीय संपत्ति पर कब्जा कर उसको भी आर्थिक क्षति पहुंचाई और मुझसे किराये के नाम पर आर्थिक लाभ लेते रहे। पूरे मामले में झांसी रोड सर्किल के सीएसपी रत्नेश तोमर का कहना है कि डॉ भल्ला की शिकायत पर ब्रज मोहन सिंह परिहार और रश्मि परिहार के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया गया है। आगे जांच के बात अगली कार्र वाई की जायेगी। बहरहाल दिग्विजय सिंह समर्थक कांग्रेस नेता ब्रज मोहन परिहार ने अपनी पार्टी की सरकार का राजनैतिक लाभ लेकर डॉ भल्ला से अस्पताल वाली बिल्डिंग खाली करने के लिए जो दांव चला था उसमें वे उलटे फंस गए हैं। अब भाजपा से संबंध रखने वाले डॉ भल्ला ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए उनके लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। अब देखना ये है कि शह मात के इस खेल में कौन किस पर भारी पड़ता है।