कोरोना आपदा में अवसर तलाशते समाज के दुश्मन, पुलिस ने पहुंचाए सलाखों के पीछे

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना।  कोरोना महामारी (Corona Crisis) में परिजन अपना सब कुछ दांव पर लगा रहे हैं, उधर मरीज मौत और जिंदगी से संघर्ष कर रहे हैं लेकिन कुछ समाज के ऐसे दुश्मन हैं जो इस आपदा में भी अवसर तलाश रहे हैं। पुलिस ने कालाबाजारी (Black Marketing )करने वाले सरकारी अमले से लेकर व्यापारियों को सलाखों के पीछे भेज दिया है।

मंगलवार को ग्वालियर पुलिस ने प्लाज़्मा (Plasma) की कालाबाजारी के गोरखधंधे का खुलासा किया था और गिरोह के दो सदस्यों कीगिरफ्तार किया था जिसमें से एक JAH का वार्ड बॉय है और उसका एजेंट है जो ऑटो चालक है।  यही ऑटो चालक ग्राहल यानि पीड़ित परिजन को तलाशता तह ऑफर 20,000 रुपये में नकली दस्तावेजों की मदद से JAH के ब्लड बैंक से प्लाज़्मा निकाल कर बेच देते थे। चूँकि प्लाज़्मा मुफ्त मिलता था इसलिए इन लोगों की मोटी कमाई होती थी।  पुलिस ने जब दोनों से कड़ाई से पूछताछ की तो इन्होने  अपने गिरोह में एक नर्स और एक और वार्ड बॉय के शामिल होने के बात कही, पुलिस ने बुधवार को नर्स और वार्ड बॉय को पकड़ लिए लेकिन इसकी पुष्टि नहीं की है। नर्स के कब्जे से नकली दस्तावेज बरामद हुए हैं जिनकी मदद अस ऑय ब्लड बैंक से प्लाज़्मा निकलते थे।  बताया जा रहा है कि नर्स ने कुछ और वार्ड बॉय के इस गिरोह में शामिल होने की बात बताई है।

जिम्मेदारों पर उठ रहे हैं सवाल 

प्लाज़्मा गैंग के खुलासे के बाद ब्लड बैंक और JAH के  अन्य जिम्मेदारों पर सवाल खड़े हो रहे हैं।  पूरा गैंग डिमांड आते ही  इनाम का डिमांड लैटर बनाते थे जो JAH में भर्ती ही नहीं होता , शातिर लोग डॉक्टर के भी फर्जी हस्ताक्षर और सील लगा लेट फिर इस डिमांड लैटर  ब्लड बैंक जाते और प्लाज़्मा इश्यू करा लेते।  ब्लड बैंक वाले कभी क्रॉस चैक नहीं करते कि जी नाम का पर्चा है और डिमांड लैटर है उस नाम का मरीज JAH में भर्ती है भी कि नहीं।

एक हजार का फ्लोमीटर आठ हजार में बेचा, FIR

कोरोना संक्रमण (Corona Infection) में सरकारी अमले के अलावा व्यापारी भी मरीजों और उनके परिजनों की जेब काटने पर आमादा है। कोरोना मरीज के लिए आवश्यक हर वो मेडिकल उपकरण जो उसकी जान बचा सकता है व्यापारी उसे कई गुना रेट पर बेच रहे हैं यानि ब्लैक मार्केटिंग कर रहे हैं। पुलिस ने ऐस ही एक व्यापारी के खिलाफ FIR की है।  डीएसपी क्राइम विजय भदौरिया ने बताया कि गांधीनगर में रहने वाले कोरोना संक्रमित  मकान मालिक ने अपने किरायेदार विजय से ऑक्सीजन फ्लोमीटर बाजार से लाने के लिए कहा।  विजय हुजरात पुल के पास सर्जिकल जोन पहुंचा और स्टोर के मालिक अशोक नागरानी से ऑक्सीजन फ्लोमीटर माँगा , दुकानदार ने कीमत 9 हजार बताई जब विजय ने कहा कि वास्तविक कीमत एक हजार है इतना महंगा क्यों दे रहे हैं तो अशोक ने एक हजार रुपये कम कर लिए। विजय ने बिल मांगा तो अशोक ने कहा कि बिल चाहिए तो 15,000 लगेंगे। फिर विजय ने मजबूरी में 8 हजार रुपये में ऑक्सीजन फ्लो मीटर खरीद लिया।  ऑक्सीजन फ्लोमीटर खरीदने के बाद विजय क्राइम ब्रांच पहुँच गया और वहां कालाबाजारी की शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने एक सिपाही से इसकी तस्दीक कराई फ़ोन पर बात रिकॉर्ड की तो मामला सही निकला उसके बाद दुकानदार अशोक नागरानी के खिलाफ FIR  दर्ज कर ली।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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