जीवाजी विश्वविघालय ग्वालियर के VC प्रोफ़ेसर अविनाश तिवारी एवं 17 अन्य पर EOW में मामला दर्ज

EOW की जाँच में ये सामने आया कि जीवाजी विश्वविघालय द्वारा कॉलेज के निरीक्षण के लिये गठित कमेटी के सदस्यों ने अनुचित लाभ प्राप्त कर यानि भ्रष्टाचार कर असत्य आधारों पर उक्त महाविद्यालय के कूटरचित निरीक्षण प्रतिवेदन तैयार कर उसे संबंद्धता लेने में सहयोग किया।

Atul Saxena
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EOW Gwalior registered case against JU VC Avinash Tiwari : भ्रष्टाचार पर जीरो टोलरेंस की नीति पर काम कर रही मध्य प्रदेश सरकार के आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ की ग्वालियर इकाई ने एक बड़ा एक्शन लिया है। ईओडब्ल्यू ने जीवाजी विश्वविद्यालय में VC यानि कुलगुरु प्रोफ़ेसर अविनाश तिवारी पर अपराध पंजीबद्ध किया है, प्रोफ़ेसर तिवारी के अलावा 17 अन्य प्रोफेसर्स भी हैं जिनके खिलाफ भी मामला दर्ज हुआ है।

दरअसल ये मामला एक फर्जी कॉलेज से जुड़ा हुआ है, आपको बता दें जीवाजी विश्वविद्यालय कॉलेजों को सम्बद्धता देने में काफी चर्चित रहा है, कई बार शिकायत हुई है कि विश्वविद्यालय के निरीक्षण दल कॉलेजों की सम्बद्धता के आवेदन में दस्तावेजों का सत्यापन करने में लापरवाही करते हैं। इस मामले में कर्मचारी नेताओं ने भ्रष्टाचार के भी आरोप लगाये थे, और इसी क्रम में अब कुल 18 प्रोफेसर्स पर ईओडब्ल्यू ने मामला दर्ज कर लिया है।

मुरैना के एक कॉलेज की शिकायत हुई ईओडब्ल्यू में  

गौरतलब है कि एक आवेदक अरुण कुमार शर्मा निवासी दुर्गा कालोनी मुरार ग्वालियर ने आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ग्वालियर में शिवशक्ति महाविघालय ग्राम झुण्डपुरा तहसील सबलगढ़ जिला मुरैना के संचालक की शिकायत की थी, शिकायत में आरोप लगाया गया था कि उनके कॉलेज को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सम्बद्धता दी गई है। इस मामले की जांच आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ इकाई ग्वालियर द्वारा की गई, जांच के बाद प्राप्त साक्ष्य के आधार पर पाया गया कि शिवशक्ति महाविघालय ग्राम झुण्डपुरा के संचालक रघुराज सिंह जादौन द्वारा अन्य आरोपियों के साथ मिलकर कूटरचित दस्तावेज तैयार किये जिसके आधार पर कॉलेज की मान्यता एवं संबंद्धता प्राप्त कर छात्रों का फर्जी प्रवेश दिखाकर स्कॉलरशिप व अन्य मदो के लाभ प्राप्त कर शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाई गई।

जाँच में पकड़ा कॉलेज को सम्बद्धता देने में फर्जीवाड़ा 

जाँच में सामने आया कि जीवाजी विश्वविघालय द्वारा कॉलेज के निरीक्षण के लिये गठित कमेटी के सदस्य डॉ० एपीएस चौहान, डॉ० ए. के. हल्वे, डॉ० एस. के. गुप्ता, डॉ० एस. के. सिंह, डॉ० सी.पी. शिन्दे, डॉ० आर.ए. शर्मा प्रोफेसर अविनाश तिवारी (वर्तमान कुलगुरु) डॉ० के.एस. ठाकुर, ज्योति प्रसाद, डॉ० नवनीत गरूड, डॉ० सपन पटेल, डॉ० एस.के. द्विवेदी, डॉ० हेमन्त शर्मा, डॉ० राधा तोमर, डॉ० आर.पी. पाण्डेय, डॉ० एम.के. गुप्ता, डॉ० निमिषा जादौन, डॉ० सुरेश सचदेवा, डॉ० मीना श्रीवास्तव द्वारा अनुचित लाभ प्राप्त कर यानि भ्रष्टाचार कर असत्य आधारों पर उक्त महाविद्यालय के कूटरचित निरीक्षण प्रतिवेदन तैयार कर उसे संबंद्धता लेने में सहयोग किया।

EOW ने VC सहित कुल 18 प्रोफेसर्स को बनाया आरोपी, अपराध दर्ज 

चूँकि जाँच दल के एक सदस्य डॉ० एपीएस चौहान की मृत्यु हो जाने से कारण उन्हें छोड़कर शेष डॉ० ए.के. हल्वे, डॉ० एस. के. गुप्ता, डॉ० एस. के. सिंह, डॉ० सी.पी. शिन्दे, डॉ० आर.ए. शर्मा प्रोफेसर अविनाश तिवारी, डॉ० के.एस. ठाकुर, ज्योति प्रसाद, डॉ० नवनीत गरूड, डॉ० सपन पटेल, डॉ० एस.के. द्विवेदी, डॉ० हेमन्त शर्मा, डॉ० राधा तोमर, डॉ० आर.पी. पाण्डेय, डॉ० एम.के. गुप्ता, डॉ० निमिषा जादौन, डॉ० सुरेश सचदेवा, डॉ० मीना श्रीवास्तव एवं अन्य के विरुद्ध आइपीसी की धारा 420, 409, 467, 468, 120बी एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 संशोधित अधिनियम 2018 की धारा के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध किया गया हैं।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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