ग्वालियर नगर निगम मुख्यालय में आग, संबल सेल और NULM के दस्तावेज जलकर खाक, साजिश का आरोप

आरटीआई एक्टिविस्ट विजय सिंह कुशवाह ने कहा कि नगर निगम में बड़े बड़े घोटाले हैं संबल सेल की भी कई शिकायते हैं इसलिए ये संबल के किसी घोटाले को दबाने के लिए आग लगाई गई है शॉर्ट सर्किट का कोई मामला नहीं है ये एक साजिश है।  

Atul Saxena
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Sambal Cell and NULM documents burnt: नगर निगम मुख्यालय में आज उस समय हडकंप मच गया जब वहां स्थित संबल शाखा में आग लग गई, आग लगते ही तत्काल फायर ब्रिगेड को सूचना दी गई जिसने पानी डालकर आग पर काबू किया, आग लगने के कारण शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है, उधर इस आग में साजिश की आशंका जताई जा रही है, आरोप लगाया जा रहा है किसी बड़े घोटाले को दबाने के लिए दस्तावेज जलाये गए हैं।

ग्वालियर के सिटी सेंटर स्थित नगर निगम मुख्यालय में अचानक धुआं उठता देख कर्मचारी घबरा गए, कमर्चारी अन्दर भागे तो वहां कमरे में धुआं भरा हुआ था, समझते देर नहीं लगी कि आग लगी है, धुआं जिस दिशा से आ रहा था वहां संबल सेल और NULM (राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन) का ऑफिस था।

दो पानी गाड़ी फेंक कर आग पर किया काबू 

सूचना पर पहुंची फायर ब्रिगेड ने पानी फेंकना शुरू किया और कुछ घंटों की मशक्कत के बाद दो गाड़ी पानी फेंककर  आग पर काबू कर लिया, फायर ब्रिगेड विभाग के प्रभारी अधिकारी अतिबल सिंह के मुताबिक शॉर्ट सर्किट के कारण ऑफिस में रखे कागजों में आग लगी और इससे दूसरे दस्तावेजों में फ़ैल गई जिससे वहां धुआं भर गया था।

महत्वपूर्ण दस्तावेज सुरक्षित होने का दावा 

उन्होंने कहा कि यहाँ रखे पुराने रिकॉर्ड में आग लगी है और जो महत्वपूर्ण दस्तावेज है वो सुरक्षित है, उन्होंने कहा समय रहते सूचना मिलने से आग पर काबू करना आसान रहा वर्ना पास में ही दूसरे विभागों में यदि आग फ़ैल जाती तो बड़ा नुकसान हो सकता था।

घटना के पीछे साजिश की आशंका 

उधर इस आग पर साजिश की आशंका जताई जा रही है, आरटीआई एक्टिविस्ट विजय सिंह कुशवाह ने कहा कि नगर निगम में बड़े बड़े घोटाले हैं संबल सेल की भी कई शिकायते हैं उन्होंने कहा कि वो पहले भी घोटालों की शिकायत कर चुके है और पिछली बार भी दस्तावेज जला दिए गए थे इसलिए ये संबल के किसी घोटाले को दबाने के लिए आग लगाई गई है शॉर्ट सर्किट का कोई मामला नहीं है ये एक साजिश है।

ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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