ग्वालियर/अतुल सक्सेना
कोरोना महामारी के बीच चौथी बार मध्यप्रदेश की कमान संभालने वाले शिवराज सिंह चौहान ने भले ही कोरोना को प्राथमिकता बताया हो लेकिन सरकार बनने से पहले दिमाग में जो प्राथमिकताएं तय थी, वे उसे भी पूरा कर रहे हैं। कोरोना से बचाव के बीच वे कमलनाथ सरकार के समय की गई राजनैतिक नियुक्तियाँ निरस्त कर रहे हैं। साथ ही अपनी सरकार के भरोसेमंद रहे अफसरों को वापस बुला रहे हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने प्रदेश के मुखिया का पद संभालते ही जहाँ कोरोना से निपटने के लिए सरकारी मशीनरी को अलर्ट कर दिया वहीं उन्होंने प्रदेश की जनता से सहयोग करने की अपील भी की। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने कमलनाथ सरकार के समय की गई राजनैतिक नियुक्तियाँ निरस्त करना भी शुरू कर दिया। पद संभालते ही कमलनाथ सरकार द्वारा निगम मंडलों में की गई नियुक्तियां रद्द करने के बाद शिवराज सरकार ने सहकारिता विभाग में बड़ा बदलाव किया है जिससे ग्वालियर भी प्रभावित हुआ है । सरकार ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कमलनाथ तथा दिग्विजय सिंह के ख़ास माने जाने वाले अशोक सिंह को अपेक्स बैंक के प्रशासक पद से हटा दिया है। कमलनाथ ने मुख्यमंत्री का पदभार ग्रहण करने के बाद पहली राजनैतिक नियुक्ति अशोक सिंह की ही की थी। अशोक सिंह को कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दिया था। 17 अक्टूबर 2019 को अशोक सिंह ने अपैक्स बैंक के प्रशासक का पद संभाला था और 25 मार्च को उन्हें इस पद से हटा दिया गया।
अशोक सिंह के अलावा प्रदेश में सरकार द्वारा नियुक्त सभी सहकारी बैंकों के प्रशासकों को भी उनके पद से हटा दिया और उनके स्थान पर शासकीय अधिकारियों की नियुक्तियां कर दी गई है। हटाए गए लोगों में कुछ ने तो कमलनाथ सरकार जाने के बमुश्किल चौबीस घंटे पहले ही पदभार सम्भाला था। इनमें ग्वालियर केंद्रीय सहकारी बैंक के प्रशासक वासुदेव शर्मा भी शामिल हैं। अशोक सिंह ने आठ माह तक प्रशासक के रूप में अपना काम किया, जबकि वासुदेव शर्मा कुछ दिन ही प्रशासक रह पाए।