ग्वालियर/अतुल सक्सेना
भारतीय जनता पार्टी के ग्वालियर नगर जिला अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर पार्टी के जिन वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं ने एक दिन पूर्व विरोध का बिगुल बजाया था, संगठन के निर्णय पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करते हुए प्रदेश संगठन महामंत्री को निशाने पर लिया था उन्होंने एक दिन बाद ही अपने किए पर पछतावा हो गया। विरोध करने वाले वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को पत्र लिखकर अपने किये पर खेद जताया है।
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर ने इसकी जानकारी सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए बताया कि प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा को लिखे पत्र में पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष देवेश शर्मा, जय सिंह कुशवाहा , वेद प्रकाश शिवहरे, महेश उमरैया , शरद गौतम और अरुण सिंह तोमर सहित बैठक में उपस्थित सभी कार्यकर्ताओं ने अपने किए पर क्षमा याचना की है। उन्होंने कहा है कि मंगलवार को ग्वालियर में कार्यकर्ताओं ने भावावेश में जो टिप्पणियां की थी, उसे हम वापस लेते हैं । हमारे कृत्य से की पार्टी को प्रतिष्ठा को जो आघात पहुंचा है, हम उसके लिए खेद व्यक्त करते हैं ।
गौरतलब है कि ग्वालियर भाजपा के जिला महामंत्री कमल माखीजानी को प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत ने 9 मई को ग्वालियर भाजपा का शहर जिला अध्यक्ष नियुक्त किया था। कमल की नियुक्ति के तत्काल बाद भाजपा के बहुत से पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। नेताओं ने अगले दिन मंगल वाटिका में बैठक कर नियुक्ति को लेकर सवाल खड़े किये साथ ही प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने सांसद विवेक शेजवलकर के साथ मिलकर उनकी पसंद को बिना स्थानीय नेताओं की सहमति के जिला अध्यक्ष बना दिया। बैठक में आम सहमति बनाकर राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखा गया जिसमें प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत की शिकायत की गई। लिखा गया कि सुहास भगत ने अपने रिश्तेदार सांसद विवेक शेजवलकर के साथ मिलकर पार्टी नियमों को नजरअंदाज करते हुए मनमाना फैसला लिया है। पत्र में कमल माखी जानी पर भी गंभीर आरोप लगाए। अंत में चेतावनी भरे अंदाज में लिखा कि यदि जिला अध्यक्ष कमल माखीजानी को नहीं बदला गया और सुहास भगत के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई तो पार्टी के कार्यकर्ता अपना निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होंगे। पत्र के साथ 37 वरिष्ठ नेताओं, पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के हस्ताक्षर की भी सूची थी।
जेपी नड्डा को लिखा पत्र और हस्ताक्षर वाली सूची पार्टी नेतृत्व के साथ साथ मीडिया के पास भी पहुँच गई जो पार्टी नियमों के विरुद्ध है। सांसद विवेक शेजवलकर ने से अनुशासनहीनता बताया। मामला वरिष्ठ नेतृत्व की जानकारी में आते ही विरोध करने वाले नेताओं से चर्चा की गई जिसके तत्काल बाद 37 में से छह वरिष्ठ नेताओं ने एक माफ़ी नामा लिखकर प्रदेश अध्यक्ष को भेज दिया। जिसमें कहा गया कि प्रदेश संगठन महामंत्री के विरुद्ध भावावेश में जो टिप्पणी की थी हम उन्हें वापस लेते हैं । प्रदेश संगठन मंत्री एक श्रद्धा वाला पद है हमारे कृत्य से उन्हें यदि आघात पहुंचा है तो उसके लिए हैं खेद जताते हैं। उनकी प्रतिष्ठा को आघात पहुंचाना हमारा उद्देश्य नहीं था।
नेताओं का ऐलान जिला अध्यक्ष के खिलाफ अभियान जारी रहेगा
प्रदेश अध्यक्ष को पत्र भेजने के बाद सभी नेता एक बार फिर एक जगह बैठे और उन्होंने फैसला लिया कि जब तक कमल माखीजानी को हटाया नहीं जाता तब तक कोई पार्टी की बैठकों में शामिल नहीं होगा। इस बैठक में पूर्व अध्यक्ष अभय चौधरी, जय सिंह कुशवाह, ब्रजेंद्र सिंह जादौन सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं ने फोन पर प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को बताया कि नियुक्ति से एक दिन पूर्व ही कमल माखीजानी ने एक टीआई को गाली दी थी फिर टीआई से माफ़ी मांगते हुए कहा कि ये गाली मैंने आपको नहीं कार्यकर्ता को दी थी इससे कार्यकर्ता नाराज है। वो चुनावों में कमल माखीजानी के साथ काम करने को तैयार नहीं हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने बताया कि हमने प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत के खिलाफ कुछ कार्यकर्ताओं द्वारा भावावेश में की गई टिप्पणी को वापस ले लिया है लेकिन फैसला लिया है कि जब तक कमल माखीजानी को हटाया नहीं जाता विरोध जारी रहेगा।