ग्वालियर।अतुल सक्सेना। सोशल मीडिया के दौर में राजनीति भी हाई टेक हो गई है। राजनेता ट्विटर के जरिये एक दूसरे पर हमले करते हैं। ताजा मामला ग्वालियर के दो पूर्व मंत्रियों से जुड़ा है। एक पूर्व मंत्री हाल ही में भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आये हैं हालांकि वे पहले कांग्रेसी ही थे और दूसरे पूर्व मंत्री अपनी बात करने की शैली और निर्विवाद छवि के चलते भाजपा के कद्दावर नेता है।
“बड़े महाराज” यानि स्वर्गीय माधवराव सिंधिया के बालसखा पूर्व मंत्री बालेंदु शुक्ला हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के सामने कांग्रेस में शामिल हो गए। पिछले दिनों उन्हें कमलनाथ ने प्रदेश उपाध्यक्ष भी बना दिया। भाजपा छोड़ने और कांग्रेस में पद मिलने के बाद वे अब भाजपा पर हमलावर हैं। उन्होंने पूर्व मंत्री एवं भाजपा के कद्दावर नेता जयभान सिंह पवैया के सोनिया गांधी को संबोधित ट्वीट का जवाब ट्वीट से दिया है। पवैया ने सोनिया गांधी को संबोधित ट्वीट में पिछले दिनों लिखा था” हे कांग्रेस की राजमाता, अपने कुनबे को संभालिये ना, आखिर आपकी रूठी हुई राजनैतिक संतानों को हम अपनों के हिस्से का कितना प्यार लुटाते रहेंगे।
इस ट्वीट के बाद बालेंदु शुक्ला ने एक के बाद पवैया पर निशाना साधते हुए चार ट्वीट किये। बालेंदु ने लिखा कि ” पुराने बजरंगी आप दबते हुए भाजपाइयों को संभालो , आपने रूठे हुए कांग्रेसियों को सिर पर बैठा लिया है। रुठों को मंत्रिमंडल में लाने के लिये मुख्यमंत्री को दिल्ली के चक्कर लगाने पड़े। बालेंदु ने अगले ट्वीट में ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम लिए बिना लिखा कि “शाबास मेरे भतीजे ने इतने विशाल दल को कुछ माह में ही घुटनों पर बैठा दिया । कितना अच्छा लगेगा जब बजरंगी गली गली, मुहल्ले मुहल्ले प्रद्युम्न सिंह तोमर जिंदाबाद नारे लगायेगा, उसकी प्रसिद्धि में उद्बोधन देगा और जयकारा लगाकर मेरे भतीजे के प्रति सिर नहीं कमर झुका कर भाषण समाप्त करेगा।
बालेंदु शुक्ला के ट्वीट के बाद हालांकि जयभान सिंह पवैया ने तो कोई रिएक्शन नहीं दिया लेकिन जयभान सिंह पवैया के छोटे भाई एवं भाजपा नेता उदयभान सिंह पवैया ने बालेंदु को करारा जवाब दिया है। उदयभान सिंह पवैया ने कहा –
आदरणीय बालेन्दु शुक्ला जी आपकी पीड़ा हम समझ सकते हैं ..
आपके पास कमर झुकाने का बहुत लंबा अनुभव है । आपके जीवन का एक बड़ा हिस्सा “दरबारों” के समक्ष कमर झुकाने में ही तो खर्च हुआ है उसी के फलस्वरूप आप “कॉपरेटिव बैंक” के एक जिला प्रबन्धक के पद से प्रदेश सरकार में मंत्री पद तक पहुंच गये । कमर नहीं झुकाने वालों को कुचलना भी अपने उन्हीं “दरबारों” में सीखा होगा ।
आपको पनिहार के स्वाभिमानी नेता ठाकुर कप्तान सिंह जी सोलंकी तो याद होंगे न, अगर याद न हों तो आपको याद करा सकता हूँ ..! परन्तु आपके सम्मान का ध्यान रखते हुये ज्यादा गहराई में नहीं जाना चाहूंगा
आप उस समय काँग्रेस सरकार में मंत्री थे और मैं गिर्द विधानसभा के आंतरी मंडल का भाजपा अध्यक्ष था, आप गिर्द के दौरे पर थे, पनिहार की उस दुर्भाग्यशाली घटना के विरोध में पूरे 8 घंटे तक आपको चीनौर में नहीं घुसने दिया हमने, घरसौन्धी के एक घर में “जाम” के सहारे बिताए थे आपने पूरे 8 घंटे । कमर झुकाना हमारे रक्त में होता तो एक “दरबार” के “दरबारी” के आगे हम भी औरों की तरह झुक गये होते ।
रही बात मेरे अग्रज आदरणीय जयभान सिंह जी पवैया की तो ध्यान से सुनें “महाराणा प्रताप” को अपना आदर्श मानने वाला “घास” की रोटी खाना स्वीकार कर सकता है परन्तु अपना मस्तक और अपनी कमर किसी “अकबर” के समक्ष नहीं झुका सकता । “पवैया” की कमर पहले भी कड़क थी, आज भी कड़क है और आगे भी कड़क रहेगी । “पवैया” के लोटे की तली बहुत मजबूत है आपके लोटे की तरह बेपेंदी का तो कतई नहीं ।
मैं समझता हूँ मर्यादापूर्ण इन शब्दों के द्वारा आपकी बात का जबाब मिल गया होगा …धन्यवाद ।