ग्वालियर, अतुल सक्सेना। रिद्धि सिद्धि के देवता, प्रथम पूजनीय भगवान गणेश (Ganesha) की पूजा के पर्व गणेशोत्सव (Ganeshotsav) की रौनक बाजार में दिखाई दे रही है। भगवान शिव और पार्वती के लाड़ले पुत्र श्री गणेश (Shri Ganesh ji) के स्वागत के लिए लोग आतुर हैं लेकिन लोग इस बात को लेकर भी चिंतित हैं कि पर्यावरण को भी प्रदूषण से बचाना है, इसलिए वे मिट्टी से बनी ईको फ्रेंडली मूर्तियों (Eco friendly Ganesh Murti made of clay) को लेना पसंद कर रहे हैं। ग्वालियर में कुछ युवाओं ने मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमा (Clay Ganesh Murti) के साथ एक विशेष पैकेज तैयार किया है। आइये जानते है इसके बारे में।
इसमें कोई शक नहीं है कि देशभर की नदियां प्रदूषण का शिकार हो रही हैं, इसके बहुत से कारण हैं इनमें से एक बड़ी वजह है नदियों में होने वाला मूर्तियों का विसर्जन। गणेशोत्सव और नवरात्रि के बाद होने वाला मूर्ति विसर्जन जल प्रदूषण (Murti Immersion and water pollution) का एक बहुत बड़ा कारण बनता जा रहा है। इसलिए अब सवाल किये जाने लगे हैं कि प्रदूषित पानी में अथवा पानी को प्रदूषित करने के लिए भगवान का विसर्जन करने से क्या फायदा?
ये सवाल लोगों के दिमाग में बैठता जा रहा है और वे पीओपी की जगह मिट्टी से बनी प्रतिमाएं तलाश रहे हैं और उन्हीं मूर्तियों की स्थापना कर रहे हैं। कल 31 अगस्त को गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2022) है, ग्वालियर में भी लोग जागरूक हो चुके है बढ़ती डिमांड को देखते हुए कुछ युवा इस दिशा में आगे आये हैं और उन्होंने मिट्टी की गणेश प्रतिमाओं का स्टॉल लगाया है।
ग्वालियर के अचलेश्वर मंदिर चौराहे के पास सजने वाले अस्थाई गणेश बाजार में फाइन आर्ट्स कॉलेज से पास आउट युवा मूर्तिकारों ने अपना एक स्टॉल लगाया है। स्टॉल को नाम दिया है ईको फ्रेंडली ग्रीन गणपति, खास बात ये है इसके साथ पूरा पैकेज है। ये लोग गणपति के घर में विसर्जन को भी प्रमोट कर रहे हैं।
पैकेज में ये सब है शामिल
तीन साइज की गणेश प्रतिमाओं के साथ एक मिट्टी का खाली गमला, एक पौधा दिया जा रहा है। स्टॉल संचालित करने वाले मूर्तिकार अमन धाकड़ का कहना है कि हमने शुद्ध मिट्टी के गणेश बनाये हैं , मिट्टी का ही कलर है, आप घर में विसर्जन के बाद गमले में पौधा लगा सकते हैं।
ग्वालियर के अस्थाई गणेश बाजार में युवा मूर्तिकारों का ईको फ्रेंडली ग्रीन गणपति स्टॉल जागरूक लोगों को अपनी तरफ खींच रहा है, यहां अपने घर पर स्थापना के लिए मूर्ति लेने पहुंचे राहुल चतुर्वेदी इस कॉन्सेप्ट की तारीफ करते दिखाई दिए। उन्होंने कहा कि भगवान श्रद्धा के लिए होते हैं लेकिन विसर्जन के बाद जिस तरह से पीओपी की मूर्तियां की बेकद्री होती है, गन्दगी होती है उससे ना सिर्फ वातावरण ख़राब होता है बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान होता है।
बहरहाल कैमिकलयुक्त जहरीले रंगों से बनी पीओपी की मूर्तियां सिर्फ जल प्रदूषण को ही नहीं बढ़ाती बल्कि जलीय जीवों की मौत का भी कारण बनती है। यदि सभी लोग मिट्टी से बनी मूर्तियों की स्थापना करते हैं तो इसके विसर्जन के बाद होने वाला जल प्रदूषण बहुत हद तक रोका जा सकता है। इससे भी एक कदम आगे बढ़कर यदि लोग घर में ही मूर्ति विसर्जन करते हैं और फिर उस मिट्टी में पौधा लगाते हैं भगवान गणेश एक पौधे के रूप में हमेशा उनको आशीर्वाद देते रहेंगे। आइये मिट्टी की मूर्ति की स्थापना कीजिये और नदियों, तालाबों आदि को प्रदूषण से बचाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाइये।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....