रेलवे स्टेशन के पास गुमसुम बैठी थी नाबालिग, पुलिस ने पूछा तो हुआ ये खुलासा, कानपुर परिजनों को दी सूचना 

उसने पुलिस को बताया कि उसका, उसके भाई से झगड़ा हो गया, जिससे नाराज होकर उसने घर छोड़ दिया और ग्वालियर आने वाली ट्रेन में बैठकर ग्वालियर आ गई। 

Atul Saxena
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Padav Police Station Gwalior

Gwalior News : ग्वालियर पुलिस की समझदारी से एक 17 वर्षीय नवयुवती ना सिर्फ सुरक्षित है बल्कि उसकी तलाश में भटक रहे परिजनों को भी सुकून मिला है, नवयुवती अपने भाई से झगड़कर घर से भाग आई थी, परिजन उसकी तलाश कर रहे थे, कानपुर पुलिस में उसकी गुमशुदगी का मामला दर्ज है।

मामला ग्वालियर के स्टेशन बजरिया क्षेत्र का है, पड़ाव थाना पुलिस को किसी ने सूचना दी की एक लड़की बहुत देर से एक जगह गुमसुम अकेली बैठी है। उससे लोगों ने पूछताछ करने का प्रयास किया, लेकिन वह कुछ बता नहीं रही है। जानकरी मिलते ही पुलिस लड़की के पास पहुंची और उसे पुलिस थाने ले आई।

भाई से झगड़ा हो गया, इसलिए नाराज होकर घर से भाग आई 

लड़की से जब महिला आरक्षक ने पूछताछ की तो मालूम चला कि वो कानपुर उत्तर प्रदेश की रहने वाली है, उसकी उम्र 17 साल है और स्कूल में पढ़ती है, उसने पुलिस को बताया कि उसका, उसके भाई से झगड़ा हो गया, जिससे नाराज होकर उसने घर छोड़ दिया और ग्वालियर आने वाली ट्रेन में बैठकर ग्वालियर आ गई।  यहां पर कोई ठिकाना नहीं होने के कारण वो स्टेशन के पास गुमसुम बैठी थी।

Gwalior Police ने कानपुर पुलिस को दी सूचना 

पुलिस ने छात्रा से कहा कि उसे घबराने की जरुरत नहीं है ,  पुलिस ने छात्रा से नंबर लेकर उसके परिजनों से बात की और बताया कि उनकी बेटी ग्वालियर में सुरक्षित है, परिजनों ने बताया कि इस मामले में गुमशुदगी कानपुर में दर्ज है तो फिर ग्वालियर पुलिस ने संबंधित कानपुर थाना पुलिस को भी सूचना दी, सूचना मिलने के बाद पुलिस और परिजन उसे ले जाने के लिए  कानपुर से ग्वालियर के लिए रवाना हो गए है, ग्वालियर पुलिस ने फिलहाल किशोरी को वन स्टॉप सेंटर भेज दिया है।

ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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