ग्वालियर, अतुल सक्सेना। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के हत्यारे नाथूराम गोडसे (Nathuram Godse) और उनके साथी नारायण आप्टे (Narayan Apte) को पूजने वाली हिन्दू महासभा (Hindu Mahasabha) ने एक बार फिर दोनों का महिमामंडन किया है। हिन्दू महासभा ने बुधवार को पार्टी कार्यालय में नाथूराम गोडसे के बयानों के बयानों और भाषणों को जन जन तक पहुँचाने के लिए गोडसे बयान अध्ययन माला का शुभारम्भ किया। पार्टी ने इसी के साथ अम्बाला शहर से लायी गई मिट्टी का पूजन भी किया।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को लेकर हमेशा चर्चा में रहने वाली हिंदू महासभा चर्चा में हैं। गोडसे का मंदिर स्थापित करने, गोडसे ज्ञान शाला शुरू करने के बाद हिन्दू महासभा ने गोडसे बयान अध्ययन माला का शुभारंभ किया है। पार्टी कार्यालय दौलतगंज में हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयवीर भारद्वाज ने अंबाला से उनके द्वारा लायी गई मिट्टी के कलश का पूजन किया। गौरतलब है कि 15 नवंबर 1949 को नाथूराम गोडसे और उसके साथी नारायण आप्टे को महात्मा गांधी की हत्या के जुर्म में अंबाला जेल में फांसी दी गई थी।
अखिल भारतीय हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ जयवीर भारद्वाज का कहना है कि 1 करोड़ 84 लाख लोगों तक गोडसे का बयान पढ़वाया और सुनाया जायेगा। इसे यू ट्यूब, व्हाट्स एप सहित अन्य सोशल नेटवर्क साइट पर हिन्दू महासभा के कार्यकर्ता भेजेंग। उन्होंने मांग की कि ग्वालियर में ताले में बंद वीर सावरकर की प्रतिमा को बंधनमुक्त किया वर्ना 12 नवम्बर को हिन्दू महासभा खुद ये काम करेगी।
गौरतलब है कि नाथूराम गोडसे को पूजने वाली हिन्दू महासभा ने 2017 पार्टी कार्यालय में गोडसे की मूर्ति स्थापित की थी,जिसके बाद काफी विवाद हुआ था। राष्ट्रपिता के हत्यारे का मंदिर बनने के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया था और मंदिर बंद कराकर गोडसे की मूर्ति को जब्त कर लिया था। 10 जनवरी 2021 को युवाओं को गोडसे के साहित्य और इतिहास से परिचित कराने के लिए हिन्दू महासभा ने गोडसे ज्ञान शाला का शुभारम्भ किया था जिसे प्रशासन ने बाद ही बंद करा दिया था और अब 1 करोड़ से अधिक लोगों तक गोडसे के बयान पहुँचाने के लिए गोडसे बयान अध्ययन माला शुरू की गई है। देखना होगा ये कितने दिन चलती है।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....