ग्वालियर।अतुल सक्सेना।
रंगों और उत्साह के सबसे बड़े त्यौहार होली की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। वृक्षों और पर्यावरण से प्रेम करने वाले लोग हर बार की तरह कंडो की होली जलाने वाले है। उधर इस बार होली पर कोरोना वायरस का भी प्रभाव है। सोशल मीडिया पर वायरल मैसेजेज और जानकारों के अनुभवों के आधार पर लोग समाज को कोरोना वायरस से सुरक्षित रखने के लिए होलिका दहन में कपूर, लोंग, काली मिर्च और गुड़ का उपयोग करने वाले हैं।
शहर में होलिका दहन की तैयारियों से बाजार सजे हैं गली मोहल्लों और चौराहों पर जलने वाली होली लगकर तैयार है। सबसे ज्यादा उत्साह शहर के सराफा बाजार में जलने वाली सबसे पुरानी और शहर की सबसे बड़ी कंडो की होली को लेकर रहता है। आयोजकों के मुताबिक ये होली सन 1960 से जलाई जा रही है। उन्होंने बताया कि इसमें 25 हजार कंडों का उपयोग किया जाता है। इस बार इसमें कोरोना वायरस को लेकर लेकर खास इंतजाम किये गए हैं।
होली में डेढ़ किलो कपूर, लोंग, काली मिर्च और गुड़ का प्रयोग किया गया है ताकि जब होलिका दहन हो तो इन पदार्थों की खुशबू के कारण कोरोना वायरस का विषाणु मर जाए और समाज सुरक्षित रहे। गौरतलब है कि कोरोना वायरस को लेकर पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर कपूर, लोंग, काली मिर्च, गुड़, जायपत्री सहित अन्य कई वस्तुओं का होलिका दहन में प्रयोग करने के मैसेज वायरल हो रहे हैं उधर जानकार और बुजुर्ग भी कहते हैं कि हैं घरों में हवन के दौरान कपूर और लोंग आदि का प्रयोग वातावरण को शुद्ध रखने के लिए करते ही हैं इसलिए यदि इनका प्रयोग बड़े पैमाने पर होगा तो निश्चित ही शहर का वातावरण शुद्ध होगा और कोई वायरस अटैक नहीं कर पायेगा।