भोपाल। मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही अधिकारियों ने भी अपना पाला बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन पूर्व सरकार का ठप्पा लगने के कारण कई अधिकारियों पर वर्तमान सरकार की गाज गिर रही है। ग्वालियर निगम आयुक्त विनोद शर्मा के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। बीजेपी शासन में वह कांग्रेस नेताओं की नहीं सुनते थे। इसका खामियाजा सत्ता के आने के बाद उन्हें भुगतना पड़ा। हालांकि, उन्हें कैबिनेट मंत्री के काफी खास बनने की कोशिश की लेकिन यह कोशिश रंग नहीं लाई। आखिर कार कांग्रेसियों की शियाकत पर उनका भी तबादला हो गया। निगमायुक्त विनोद शर्मा को हटाकर बल्लभ भवन भेजा गया है, जबकि उनके स्थान पर अपर परिवहन आयुक्त (प्रशासन) संदीप मांकिन को निगमायुक्त बनाया गया है।
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जैसे ही सत्ता में लौटी तो कई अधिकारियों ने अपना रंग बदलना शुरू कर दिया था, लेकिन 15 साल से जो रंग चढ़ा था उसको बदलने में कुछ समय तो लगता ही है, ऐसे में तबादलो की गाज गिरना अधिकारियों पर शुरू हो गई थी। अमृत योजना से लेकर कई कामों की जांच कराई जा रही है ओर सरकार ने हाल ही में निगमायुक्त विनोद शर्मा एवं महापौर शेजवलकर को नोटिस भी भेजा था। कर्मचारियों की भर्ती मामले में भी सरकार एक्शन में थी, क्योंकि सरकार का मानना है कि भर्ती नियम के हिसाब से न करते हुए अपने-अपने चहेतोंको भर्ती किया गया।
सरकार के एक्शन के बाद कर्मचारियों ने हड़ताल की और इसके पीछे जो जानकारी सरकार तक पहुंचाई गई उसमें यह बताया गया कि हड़ताल को निगमायुक्त विनोद शर्मा ही नोटिस की कार्यवाही से बचने के लिए हवा दे रहे थे। वैसे निगमायुक्त विनोद शर्मा ने सत्ता बदलते ही अपना पाला बदल लिया था और एक मंत्री से नजदीकी बढ़ाने के साथ ही भोपाल भी कई चक्कर लगाकर यह निवेदन किया था कि मेरे कुछ महीने ही सेवानिवृत्ति के बचे हैं ऐसे में मुझे ग्वालियर रखा जाए। तबादला होने की भनक तो उनको थी, लेकिन यह मानकर चल रहे थे कि राजस्व मंडल में पहुंच जाएंगे, लेकिन ऐसा न हो सका।