Gwalior News : कलेक्टर की भी नहीं सुनते जिले के अधिकारी, कलेक्ट्रेट की स्ट्रीट लाइट सुधरवाने बार बार लिखना पड़ रहा पत्र

Atul Saxena
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Gwalior News : ग्वालियर नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों की कार्य शैली और कार्यक्षमता शहर के लोग अच्छी तरह से जानते हैं,  अब ग्वालियर स्मार्ट सिटी डवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड के अधिकारी कर्मचारी भी उसी ढर्रे पर चल पड़े हैं।  ये सिर्फ हम नहीं कह रहे ग्वालियर कलेक्टर का वो पत्र भी कह रहा है जो उन्होंने नगर निगम कमिश्नर और स्मार्ट सिटी कंपनी की सीईओ के नाम लिखा है।

ग्वालियर कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह के हस्ताक्षर से उनके कार्यालय से एक पत्र आज 13 जून मंगलवार को जारी हुआ, पत्र आयुक्त नगर निगम ग्वालियर और मुख्य कार्यपालन अधिकारी स्मार्ट सिटी डवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड के नाम से संबोधित है। पत्र में कलेक्टर ने जो लिखा है वो नगर निगम और स्मार्ट सिटी के अधिकारियों की कार्यशैली को प्रमाणित करने के लिए पर्याप्त है। पत्र सोशल मीडिया पर वायरल है ।

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कलेक्टर ने पत्र में अपने कार्यालय परिसर की ख़राब पड़ी 20 स्ट्रीट लाइटों को सुधरवाने के लिए लिखा है, कलेक्टर ने लिखा इन बंद पड़ी स्ट्रीट लाइटों को सुधरवाने के लिए पूर्व में भी कार्यालय से निरंतर पत्र प्रेषित किये गए लेकिन इस समस्या का कोई स्थाई हल नहीं निकला अतः अब परस्पर समन्वय से कार्यालय परिसर की बंद पड़ी स्ट्रीट लाइटों को अविलम्ब ठीक कराया जाना सुनिश्चित करें।

कहने को तो ये एक शासकीय पत्र है, लेकिन यदि इसकी गंभीरता को समझेंगे तो ये बहुत बड़ी बात है कि जिले के मुखिया और सभी विभागों पर एक विशेष अधिकार रखने वाले अधिकारी कलेक्टर को नगर निगम कमिश्नर और स्मार्ट सिटी सीईओ को  बार बार पत्र लिखने की जरुरत पड़ रही है वो भी कार्यालय परिसर की स्ट्रीट लाइट सुधरवाने के लिए।

बहरहाल अब देखते हैं कि शालीन शब्दों में चेतावनी के भाव से भरे कलेक्टर के इस पत्र को क्या इस बार नगर निगम और स्मार्ट सिटी कंपनी के अधिकारी गंभीरता से लेते हैं ।

Gwalior News : कलेक्टर की भी नहीं सुनते जिले के अधिकारी, कलेक्ट्रेट की स्ट्रीट लाइट सुधरवाने बार बार लिखना पड़ रहा पत्र


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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