बाल विवाह पर रहेगी उड़नदस्तों की नजर, आयोजक, पंडित, बैंड, हलवाई, टेंट जैसे सेवा प्रदाता भी माने जायेंगे दोषी, हो सकती है दो साल तक की सजा

दि कहीं पर बाल विवाह होना प्रमाणित पाया गया तो विवाह सम्पन्न कराने वाले सभी सेवा प्रदाता भी बाल विवाह के दोषी माने जायेंगे।

Atul Saxena
Published on -
child marriage

Gwalior flying squads to stop child marriage :  देवउठनी एकादशी सहित अन्य तिथियों में होने वाले सामूहिक विवाह सम्मेलनों एवं एकल वैवाहिक कार्यक्रम में बाल विवाह पर विशेष निगाह रखी जायेगी। कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्रीमती रुचिका चौहान ने बाल विवाह रोकने के लिये उड़नदस्तों का गठन किया गया है। ये उड़नदस्ते बाल विवाह पर कड़ी निगरानी रखेंगे। साथ ही बाल विवाह करने व कराने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी करेंगे।

साल में पड़ने वाले कुछ विशेष अबूझ मुहूर्त में से एक देवउठनी एकदशी भी है, इस दिन उन जोड़ों की शादियां भी हो जाती है जिनकी शादी का मुहूर्त साल में किसी और दिन नहीं निकलता, उनके परिजन निजी तौर पर या फिर सामूहिक  विवाह समारोहों में उनकी शादी करा देते हैं,  बाल विवाह अधिनियम 2006 के अनुसार बाल विवाह कराने वाले एवं सहयोग करने वाले व्यक्तियों व संस्थाओं के सदस्यों को दो वर्ष तक का कारावास, एक लाख रुपए तक का जुर्माना अथवा दोनों सजाएं देने का प्रावधान है।

एक कॉल पर विवाह स्थल पर पहुंचेगा उड़नदस्ता 

बावजूद इसके इस दौरान कुछ लोग चुपचाप से नाबालिग बच्चे बच्चियों की शादियां भी करा देते हैं , चूँकि बाल विवाह कानूनन अपराध है इसलिए प्रशासन इसपर कड़ी निगरानी रखता है, ग्वालियर जिला प्रशासन ने भी बाल विवाह रोकने के लिए उड़नदस्ते गठित किये हैं जो एक कॉल पर विवाह स्थल पर पहुंचेंगे

उड़नदस्ता दल में ये अधिकारी रहेंगे मौजूद 

ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान ने संबंधित एसडीएम की अध्यक्षता में विकासखंड स्तरीय उड़नदस्ता दल गठित किए गए हैं। इन दलों में एसडीओपी/सीएसपी, तहसीलदार, बाल विकास परियोजना अधिकारी व पर्यवेक्षक को इन दलों में शामिल किया गया है। इसी प्रकार ग्राम स्तर पर गठित उड़नदस्ते में विद्यालय के प्राचार्य, ग्राम पंचायत सरपंच व सचिव, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व आशा कार्यकर्ता, स्व-सहायता समूहों की दीदियाँ एवं संबंधित थाने के बीट प्रभारी शामिल किए गए हैं।

बाल विवाह होने पर सेवा प्रदाता भी दोषी माने जायेंगे

जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास ग्वालियर धीरेन्द्र सिंह जादौन ने बताया कि सामूहिक विवाह सम्मेलन का आयोजन कराने वाली संस्थाओं से भी कहा गया है कि वे अपने आयोजन में वर-वधु के आयु संबंधी प्रमाण-पत्रों की भलीभाँति जाँच कर लें और अपने सम्मेलन में बाल विवाह न होने दें। इसी प्रकार प्रिंटिंग प्रेस, हलवाई, कैटर्स, धर्मगुरू, समाज के मुखिया, बैंड वाले, ट्रांसपोर्टर्स आदि से भी अपील की गई है कि वे आयु संबंधी प्रमाण-पत्र का परीक्षण करने के उपरांत ही अपनी सेवायें प्रदान करें। यदि कहीं पर बाल विवाह होना प्रमाणित पाया गया तो विवाह सम्पन्न कराने वाले सभी सेवा प्रदाता भी बाल विवाह के दोषी माने जायेंगे।

ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट 


About Author
Atul Saxena

Atul Saxena

पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

Other Latest News