समय से पहले कॉलेज से जाने वाले प्रोफेसर्स और असिस्टेंट प्रोफेसर्स का कटेगा वेतन, प्राचार्यों को निर्देश जारी

कलेक्टर ने कहा कि ये शिकायतें मिलती हैं कि प्रोफेसर असिस्टेंट प्रोफ़ेसर और अन्य स्टाफ समय से पहले ही कॉलेज से चले जाते है , लेकिन अब यदि ऐसा हुआ तो प्रिंसिपल पर एक्शन होगा। 

Gwalior News : विद्यालयीन शिक्षा और महाविद्यालयीन शिक्षा दोनों पर मध्य प्रदेश सरकार फोकस बनाये हुए है, स्टूडेंट्स पर सख्ती करने वाले महाविद्यालय प्रबंधन पर अब प्रशासन सख्ती करने जा रहा है, कॉलेज के प्राचार्यों को निर्देश दिए गए हैं कि इस बात का ध्यान रखा जाये कि कोई भी प्रोफ़ेसर या फिर असिस्टेंट प्रोफ़ेसर समय से पहले कॉलेज छोड़कर नहीं जाये, यदि ऐसा होता है तो उसका वेतन काटा जाये।

ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान ने आज सोमवार को कॉलेज प्रिंसिपल्स की बैठक में इस आशय के निर्देश दिए, उन्होंने कहा  शासकीय महाविद्यालयों में पदस्थ जो प्राध्यापक व सहायक प्राध्यापक एवं अन्य स्टाफ समय से पहले चले जाते हैं यानि कॉलेज छोड़ देते हैं, उनका वेतन कटेगा। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा लागू सार्थक एप पर दर्ज होने वाली उपस्थिति के आधार पर यह कार्रवाई की जायेगी।

प्राचार्य की जिम्मेदारी स्टाफ निर्धारित समय तक उपस्थित रहे वर्ना होगा एक्शन 

कलेक्टर श्रीमती चौहान ने सभी प्राचार्यों से कहा कि वे यह सुनिश्चित करें कि महाविद्यालय का स्टाफ कॉलेज में सार्थक एप पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के बाद पूरे समय तक उपस्थित रहे। इसके विपरीत स्थिति निर्मित हुई तो प्राचार्य भी जवाबदेह होंगे। इसलिए प्राचार्य इस बात का खास ध्यान रखें कि जो आचार्य महाविद्यालय में केवल खानापूर्ति के लिये आते हैं उनका वेतन काटें। साथ ही अनुशासनात्मक कार्रवाई भी करें।

स्टूडेंट्स की समस्या का समय पर हो सकेगा निराकरण 

उल्लेखनीय है कि नया शिक्षण सत्र शुरू होने वाला है,  कई जगह सेमेस्टर एक्जाम ख़त्म हो  गए है नया सेमस्टर शुरू हो गया है या होने वाला है, एडमिशन की प्रक्रिया भी चल रही है ऐसे में कॉलेज स्टाफ की निर्धारित समय तक उपस्थिति बहुत मायने रखती है, स्टाफ की मौजूदगी होने पर ही स्टूडेंट्स अपनी समस्या का समाधान कर सकता है इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने सख्ती दिखाई है।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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