वीसी की जान बचाने के लिए हाईकोर्ट जज की गाड़ी छीनने वाले ABVP छात्रों को हाई कोर्ट ने दी जमानत

Atul Saxena
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Gwalior High Court

Gwalior News : जेल में बंद ABVP के दोनों छात्रों को ग्वालियर हाई कोर्ट ने आज मामले की सुनवाई के बाद जमानत दे दी, शिवपुरी की पीके यूनिवर्सिटी के वीसी रंजीत सिंह की जान बचाने के लिए छात्र ग्वालियर स्टेशन के बाहर से हाईकोर्ट जज की कार छीनकर से लेकर गए थे, पुलिस ने उनपर डकैती का केस दर्ज किया है, जिसके बाद से 11 दिसंबर से छात्र जेल में बंद हैं।

क्या था पूरा घटनाक्रम? 

आपको बता दें कि बीती 10 दिसंबर को शिवपुरी की पीके यूनिवर्सिटी के वीसी प्रोफ़ेसर रंजीत सिंह ट्रेन से यात्रा कर रहे थे यात्रा के दौरान मुरैना में उनकी तबियत ख़राब हुई, हार्ट अटैक आया था, ट्रेन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के कार्यकर्ता भी यात्रा कर रहे थे, वे अधिवेशन से लौट रहे थे,  उन्होंने वीसी की मदद के लिए रेलवे से कहा लेकिन मुरैना रेलवे स्टाफ ने ग्वालियर में मदद का भरोसा दिलाया, लेकिन जब ट्रेन ग्वालियर पहुंची तो छात्रों को स्टेशन पर एम्बुलेंस नहीं मिली, छात्रों के मुताबिक वे करीब आधा घंटे तक पुलिस और रेलवे से मदद मांगते रहे उसके बाद उन्होंने वहां खड़ी कार के ड्राइवर को नीचे उतारा और उसमें वीसी की लेकर अस्पताल ले गए जहाँ डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

पुलिस ने कौन सी धाराओं में दर्ज किया मामला?

बाद में पता चला कि कार एक हाई कोर्ट जज की थी जिनका ड्राइवर उनका इंतजार कर रहा था, हाई कोर्ट जज की कार जबरन छीनकर ले जाने से हडकंप मच गया, पुलिस ने छात्रों पर लूट और डकैती की धाराओं में मामला दर्ज कर लिया और फिर कार छीनकर ले जाने वाले छात्र हिमांशु और सुकृत को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

सीएम डॉ मोहन यादव और पूर्व सीएम शिवराज आये बचाव में 

मानवीय आधार पर वीसी की जान बचाने के बदले जेल भेजे गए हिमांशु और सुकृत के समर्थन में ABVP ने आन्दोलन शुरू कर दिया, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से इसमें मामले के मानवीय आधार को देखते हुए छात्रों को माफ़ करने की अपील करते हुए पत्र लिखा , मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने भी पुलिस को ऐसे मामलों में मानवीय संवेदना का ध्यान रखने के निर्देश दिए और घटना के CID जाँच के आदेश दिए।

ग्वालियर हाई कोर्ट ने मंजूर की जमानत  

उधर जिला न्यायालय में जमानत नामंजूर होने के बाद हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच में छात्रों के लिए जमानत याचिका प्रस्तुत की गई जिसपर आज सोमवार को सुनवाई हुई , छात्रों की तरफ से पेश हुए एडवोकेट भानु प्रताप सिंह चौहान ने बताया कि हमने बताया कि बच्चों का उद्देश्य जान बचाना था कोई क्रिमिनल एक्ट नहीं था, दलील सुनने के  बाद हाई कोर्ट ने मानवीय संवेदना को आधार मानते हुए हिमांशु और सुकृत की जमानत स्वीकार कर ली ।

ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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