हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, नगर निगम में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ 60 कर्मचारियों को मूल विभाग वापस भेजने के निर्देश, कमिश्नर की नियुक्ति पर सवाल

ग्वालियर हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद से नगर निगम के गलियारों में हडकंप मचा हुआ है, जिन अधिकारियों/कर्मचारियों को वपस भेजे जाने के आदेश हुए हैं उन्हें अब समझ नहीं आ रहा कि मलाईदार विभाग छोड़कर वो वापस कैसे जाएँ, लेकिन कोर्ट के आदेश की अवहेलना भी नहीं कर सकते

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने आज मंगलवार को नगर निगम में प्रतिनियुक्ति से जुड़े मामले में एक अहम् फैसला सुनाया है, कोर्ट ने ग्वालियर नगर निगम में प्रतिनियुक्ति पर जमे 60 अधिकारियों/कर्मचारियों  को उनके मूल विभाग में भेजने के आदेश दिए साथ ही ग्वालियर नगर निगम कमिश्नर IAS संघप्रिय गौतम की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए उसे भी निरस्त कर दिया और शासन को नियमनुसार पुनः आदेश भेजने के निर्देश दिए है।

एमपी हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने पशु चिकित्सक डॉ अनुज शर्मा को ग्वालियर नगर निगम में प्रतिनियुक्ति पर स्वास्थ्य अधिकारी बनाकर पदस्थ किये गए मामले में सुनवाई हुई, मामले की सुनवाई जस्टिस GS अहलूवालिया की एकल पीठ में हुई, जिसमें जस्टिस अहलूवालिया ने सख्त आदेश दिया।

ग्वालियर नगर निगम कमिश्नर की नियुक्ति निरस्त 

जस्टिस GS अहलूवालिया की बेंच ने ग्वालियर नगर निगम में प्रतिनियुक्ति पर आए 60 अधिकारियों/कर्मचारियों को उनके मूल विभाग में भेजने के आदेश दिए, कोर्ट ने IAS संघप्रिय गौतम की नगर निगम आयुक्त के तौर पर नियुक्ति को भी निरस्त कर दिया। कोर्ट ने कहा कि कमिश्नर की नियुक्ति धारा-54 के तहत होनी चाहिए थी जो नहीं हुई इसलिए ये निरस्त की जाती है।

इस कारण कोर्ट ने IAS संघप्रिय गौतम की नियुक्ति निरस्त की 

गौरतलब है कि नगर निगम आयुक्त के पद के लिए सरकार को आदेश में धारा 54 के तहत डेपुटेशन पर भेजने का आदेश जारी करना था, जो नहीं किया गया, हाई कोर्ट ने इसी को आधार बनाते हुए निगम आयुक्त की नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं कोर्ट ने शासन को संशोधित आदेश दिए जाने के निर्देश दिए साथ ही जिन 60 अधिकारियों/कर्मचारियों  को  मूल विभाग भेजने के आदेश दिए हैं इसके लिए 15 दिन का समय दिया है जिससे कोई कार्य प्रभावित न हो।

ग्वालियर हाई कोर्ट के आदेश का असर पूरे प्रदेश की नगर निगमों पर 

आपको बता दें कि कोर्ट ने जिस धारा 54 का उल्लेख करते हुए नगर निगम कमिश्नर संघप्रिय गौतम की नियुक्ति को निरस्त कर दिया है, उससे पूरे प्रदेश के नगर निगम कमिश्नर्स को बदलने या नए सिरे से उनके नियुक्ति आदेश जारी करने के हालात पैदा हो गए हैं।

60 अधिकारियों/कर्मचारियों के मूल विभाग में वापस भेजने के आदेश

60 अधिकारियों/कर्मचारियों के एक साथ मूल विभाग में वापस भेजने के आदेश से ग्वालियर नगर निगम के खाली होने और काम प्रभावित होने के सवाल पर जस्टिस GS अहलूवालिया ने नगर निगम से  कहा है वह तृतीय श्रेणी के कुछ कर्मचारियों को रोक सकते हैं, लेकिन 8 महीने के अंदर सीधी भर्ती करनी होगी और रोके जाने वाले कर्मचारियों की लिस्ट हाई कोर्ट को सौंपनी होंगी ओर बताना होगा इन कर्मचारियों को क्यों रोकना चाहते है।

पशु चिकित्सक को स्वास्थ्य अधिकारी बनाकर पदस्थ किया 

दर असल पशु चिकित्सक की नियुक्ति ग्वालियर नगर निगम में स्वास्थ्य अधिकारी के तौर पर किये जाने के बाद ये मामला चर्चा में आया आयर हाई कोर्ट पहुंचा, याचिकाकर्ता ने जब कोर्ट को बताया कि ग्वालियर नगर निगम तो प्रतिनियुक्ति पर आये अधिकारियों/कमर्चारियों के भरोसे ही चल रहा है जिसपर कोर्ट ने लिस्ट मांगी तो कमिश्नर सहित  61 नाम सामने आये जिसके बाद कोर्ट ने ये सख्त आदेश आज जारी किया।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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