ग्वालियर, अतुल सक्सेना। ग्वालियर (Gwalior) अंचल के सबसे बड़े जयारोग्य अस्पताल (Jairogya Hospital समूह के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के ICU में लगी आग का कारण प्रारंभिक जाँच में चीन से खरीदी गई मशीनों में हुआ विस्फोट बताया जा रहा है, हालांकि जाँच अभी जारी है।
सबसे बड़ी बात तो ये है कि हादसे का शिकार बनी मशीनों को बदलने की सलाह चीनी कंपनी ने खुद प्रदेश सरकार को दी थी लेकिन लापरवाह स्वास्थ्य विभाग ने मशीनें नहीं बदली जिसका नतीजा ये हुआ कि ICU में आग लग गई और एक मरीज की मौत हो गई।
चीन (China) की हरकतों के बाद देश में शुरू हुए चीनी सामान के बहिष्कार के बावजूद मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना काल में चीन में निर्मित मशीनें खरीदीं जिसमें हुए विस्फोट में 21 नवंबर को विस्फोट हुआ और सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के ICU में आग लग गई। आग के समय ICU में नौ मरीज थे जिन्हें निकाला गया लेकिन दो मरीज झुलस गए जिसमें से प्रदीप गोंड नामक मरीज की मौत हो गई।
ग्वालियर कलेक्टर (Gwalior Collector) के निर्देश पर घटना की उच्च स्तरीय जांच जारी है। लेकिन शुरुआती जांच में सामने आया है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा जुलाई में चीन से खरीदी गई हाई फ्लो ऑक्सीजन नोजल केनुला मशीन में हुए विस्फोट से आग लगी जिसने बड़ा रूप ले लिया। जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य विभाग द्वारा जुलाई 2020 में ‘चीनी’ कंपनी की 400 हाइफ्लो नोजल कैनुला मशीनें खरीदी गई। एक मशीन की कीमत 2 लाख 20 हजार रुपए है।विभाग ने ग्वालियर जिले में 68 मशीनें अस्पतालों में लगाई जो हादसे का कारण बनी।
यहाँ बता दें कि ग्वालियर में ही नहीं शिवपुरी, उज्जैन, इंदौर, सागर, बुराहनपुर में भी इसी मशीन से हादसे हो चुके हैं। बड़ी बात ये है कि चीनी कंपनी ने अक्टूबर में प्रदेश सरकार को एक नोटिफिकेशन जारी किया था जिसमें प्रदेश सरकार को मशीनें को बदलने का सुझाव दिया था। लेकिन सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने अभी तक न ही कंपनी को हटाया औऱ न ही मशीनें बदलने की कोई तैयारी की। यही कारण है कि ग्वालियर में लगाई गई खराब क्वालिटी की 3 मशीनो में विस्फोट हो चुका है लेकिन मामला अस्पताल से बाहर नहीं आ सका। लेकिन इस बार बड़ी आग और उसमें हुई मरीज की मौत से ये मामला बाहर आया बताया तो ये भी जा रहा है कि प्रदेश में इन मशीनों की वजह से अबतक 3 मरीजों की मौत हो चुकी हैं।
हालांकि अभी इस मामले की उच्च स्तरीय जांच चल रही है। अलग अलग विभाग के इंजीनियरों की कमेटी इसकी जाँच कर रही है। पुलिस और प्रशासन के अधिकारी अपने स्तर पर जांच कर रहे हैं जिनका अंतिम फैसला अभी आना बाकी है लेकिन जयारोग्य अस्पताल समूह के संयुक्त संचालक आरकेएस धाकड़ का कहना है कि अंतिम अभी मेरे पास नहीं आई है फिर भी घटना के जो प्रमाण है उस हिसाब से आग लगने का कारण ICU की सीलिंग में हुआ शॉर्ट सर्किट ही बताया गया है। फिर भी जांच में जो दोषी पाया जायेगा उसके खिलाफ कार्र वाई की जायेगी।
बहरहाल आग लगने का असली कारण क्या है ये तो जांच के बाद ही पता चलेगा लेकिन यहाँ बड़ा सवाल ये है कि प्रतिबंध के बावजूद चीन में निर्मित मशीनें कैसे खरीदी गई उसके लिए दोषी कौन है इसकी जांच क्या प्रदेश सरकार करेगी और फिर मरीज प्रदीप गोंड की मौत की जिम्मेदारी कौन लेगा?