ग्वालियर, अतुल सक्सेना। आपदा में अवसर तलाशने वाले कहीं भी ठगी करने से नहीं चूकते चाहें वो स्थान या मौका कोई भी हो। ग्वालियर (Gwalior) में शुक्रवार को एक ऐसा ही घटनाक्रम सामने आया जिसमें निःशुल्क अंतिम संस्कार के दावे खोखले साबित होते हुए दिखाई दिये। श्मशान स्थल पर मौजूद कर्मचारी ने एक शव के अंतिम संस्कार के नाम पर 1500 रुपये वसूल लिए लेकिन जब मृतक के परिजन ने उसकी रसीद मांगी तो देने से इंकार कर दिया। रसीद नहीं मिलने से आक्रोशित परिजनों ने ग्वालियर कमिश्नर (Gwalior Commissioner) को चेतावनी दी है कि या तो रसीद दिलवाएं वरना अपने पिता की अस्थियां उनके ऑफिस से छोड़ दूंगा।
भ्रष्टाचार (Corruption) को लेकर हमेशा चर्चा में रहने वाली ग्वालियर नगर निगम (Gwalior Municipal Corporation) का एक ऐसा कारनामा सामने आया है जिसे सुनकर आप चौंक जायेंगे। दरअसल शहर के समाजसेवी सुधीर सप्रा के पिता का श्री कृष्ण लाल सप्रा का बीती रात निधन हो गया था। उन्होंने लक्ष्मीगंज शवदाह गृह में आज शुक्रवार को गैस शवदाह गृह में अपने पिता का अंतिम संस्कार किया। सुधीर सप्रा ने बताया कि जब उन्होंने अंतिम संस्कार किया तो वहाँ मौजूद कर्मचारी ने 1500 रुपये लिए लेकिन जब रसीद मांगी तो कहा कि जब अस्थियां लेने आयेंगे तब देंगे।
समाजसेवी सुधीर सप्रा ने बताया कि जब वे 12 बजे के करीब अस्थियां लेने गए तो रसीद सीने से इंकार कर दिया। और जब अधिकारी अतिबल सिंह यादव से बात की तो उन्होंने कहा कि 419 अंतिम संस्कार किये हैं अबतक किसी ने शिकायत नहीं की जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि अब 420 वे केस वाले ने शिकायत की है तो आप जवाब दीजिये। लेकिन अतिबल सिंह यादव ने दावा किया कि उनके कर्मचारी ने पैसे नहीं लिये। रसीद नहीं मिलने के बाद समाजसेवी सुधीर सप्रा ने कमिश्नर शिवम वर्मा को चेतावनी दी कि यदि मुझे दाह संस्कार की 1500 रुपये की रसीद दिलवाएं या फिर मैं आपके दफ्तर में अपने पिता की अस्थियां छोड़ जाऊंगा उन्हें बेचकर आप अपने अधिकारियों का घर भी देना।
खास बात ये है कि सोशल मीडिया पर समाजसेवी सुधीर सप्रा की चेतावनी वायरल (Viral) होने के बाद नगर निगम ने सफाई पेश की और प्रेस नोट (Press Note) जारी कर पैसे ले जाने वाले व्यक्ति को बाहरी प्राइवेट व्यक्ति बताया और कहा कि कुछ लोग मृतक के परिजनों का साथी बनकर कुछ लोग मौके का फायदा उठाते हैं नगर निगम ने FIR की भी बात कही है।
ग्वालियर नगर निगम ने प्रेस नोट जारी कहा कि लक्ष्मीगंज विद्युत शवदागृह/ गैस शवदागृह प्लांट नगर निगम द्वारा पूर्णतः निशुल्क दाह संस्कार किया जाता है। इस दाह संस्कार में 5 फुट लम्बाई की बाॅडी के लिये 5 लकड़ी तथा 5 फुट से बड़ी लम्बाई की बाॅडी के लिये 6 लकड़ी (2 फुट लम्बी, 1.5 इंच मोटी एवं 1.5 इंच चौडी) का उपयोग दाह संस्कार क्रिया में बाॅडी के नीचे मशीन के अंदर बाॅडी को ले जाने के लिये किया जाता है। इसकी कीमत लगभग 400 से 500 रुपये के बीच रहती है ये लकड़ी लकड़ी की टाल, आरामशीनों पर मिल जाती है। उक्त लकड़ी कोरोना पाॅजीटिव/सामान्य के दाह संस्कार में परिजन द्वारा (परिवार के सदस्यों द्वारा) लाकर लगाई जाती है।
आज की घटना में लक्ष्मीगंज विद्युत/गैस शवदाह गृह पर एक सामान्य बाॅडी के संस्कार क्रिया में किसी प्राइवेट व्यक्ति परिजन से लगभग 1100 रुपये अधिक लेकर भाग गया। परिजन अपने परिवार के सदस्य के स्वर्गलोक सिधारने के कारण दुखी रहते हैं। ऐसी दशा का लाभ लेकर कुछ लोग परिजन का साथी बनकर दाह संस्कार के नाम पर अधिक पैसे लेकर भाग जाते हैं। ऐसे लोगों के विरुद्ध घटना की पुनरावृति रोकने के लिये विद्युत शवदाह गृह के नोडल ऑफिसर रामबाबू दिनकर, सहायक यंत्री विद्युत विभाग के द्वारा जनकगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराने के लिए आवेदन दिया गया तथा दाह संस्कार नगर निगम द्वारा निशुल्क किये जाने के फ्लैक्स, सूचना एवं उपरोक्त लगने वाली 5-6 लकड़ी परिजन द्वारा क्रय करने की सुविधा हेतु आरा मशीन एवं लक्ष्मीगंज में लगी लकड़ी की टालों के मोबाइल नंबर आदि लिखे जा रहे हैं ।
ग्वालियर के उपायुक्त डॉ अतिबल सिंह यादव ने समस्त नागरिकों से अपील है, कि किसी अज्ञात व्यक्ति को भावुकता में सीधे पैसे नहीं दिये जाये। कृपया आरा मशीन एवं लकड़ी की टालों से सीधा संपर्क कर स्वयं 4-5 लकड़ी क्रय करें।बहरहाल नगर निगम का ये नया कारनामा सामने आने के बाद शहर में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है लोग कह रहे हैं कि आपदा में अवसर तलाशने वाले कोई भी मौका नहीं छोड़ते। किसी की मौत पर वसूली करते इनके हाथ क्यों नहीं कांपते?
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Pooja Khodani
खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते।
"कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ।
खबरों के छपने का आधार भी हूँ।।
मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ।
इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।।
दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ।
झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।"
(पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)