Gwalior News : दो गुटों में विवाद के दौरान चली गोली, गोल गप्पे खा रही बच्ची घायल, अस्पताल में भर्ती

Atul Saxena
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 Gwalior News : ग्वालियर में दो गुटों के बीच हुए झगड़े का खामियाजा एक मासूम बच्ची को उठाना पड़ा है, बच्ची जन बाजार में अपने पिता के साथ गो गप्पे खा रही थी तभी वहां गोली चली जिसके छर्रे उसके हाथ में लग गए, बच्ची के घायल होते ही उसके पिता उसे अस्पताल लेकर भागे, डॉक्टर्स ने बच्ची का इलाज किया, बच्ची खतरे से बाहर है।

दो गुटों में हुए झगड़े के दौरान चली गोली 

जानकारी के मुताबिक गोला का मंदिर थाना क्षेत्र के जड़ेरुआ निवासी राकेश जाटव अपनी 13 साल की बेटी मोनिका के साथ राशन लेने के लिए बाजार आए हुए थे। इस दौरान बेटी पिता के साथ रोड किनारे गोल गप्पे खा रही थी। थोड़ी दूरी पर एक कार से सवार होकर आए कुछ युवक उतरकर दूसरे युवकों के साथ मारपीट करने लगे। तभी उसी विवाद के दौरान किसी युवक ने गोली चला दी। लेकिन वह गोली युवकों के गुट में से किसी को न लगते हुए गोल गप्पे खा रही बच्ची के हाथ में जा लगी जिसे देख वह हंगामा खड़ा हो गया और वाह बदमाश युवक विवाद खत्म कर भाग निकले।

गोली के छर्रे बच्ची के हाथ में धसे 

पिता ने देखा तो बच्ची के हाथ से खून निकल रहा था, गनीमत ये रही कि गोली हाथ में नहीं धसी बल्कि उसके छर्रे बच्ची के हाथ में धस गए, खून निकलता देख पिता ने पुलिस को तत्काल घटना की सूचना दी। गोली की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और पिता और पुलिस घायल बेटी को लेकर अस्पताल पहुंचाया। डॉक्टर्स ने तत्काल उसका इलाज कर बच्ची को खतरे से बाहर बताया।

विवाद का कारण नए युवकों में वर्चस्व की लड़ाई, आरोपी हिरासत में 

सीएसपी रवि भदौरिया ने बताया कि दो गुटों में झगड़े के दौरान एक गुट में से किसी फायर किया है जिसके छर्रे बच्ची को लगे हैं, पुलिस ने घटना स्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों को खंगाला। विवाद कर रहे युवकों की पहचान की गई है और उनमें से और युवकों को हिरासत में ले लिया। विवाद का कारण नए युवकों में चल रहे वर्चस्व बताया जा रहा है। फिलहाल पुलिस ने अज्ञात सभी आरोपियों के खिलाफ गैर इरातन हत्या का मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है।

ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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