Gwalior News : ग्वालियर का बिरला अस्पताल शहर के बड़े और अस्पताल के रूप में विख्यात होने के साथ साथ इलाज में लापरवाही के रूप में भी चर्चित है, एक बार फिर लापरवाही से मरीज की मौत का मामला सामने आया है हालाँकि , मामला पुराना है लेकिन उपभोक्ता फोरम ने इसपर मामले की सुनवाई के बाद अब 8 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है, फोरम ने मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया की एमपी ब्रांच को और मप्र के स्वास्थ्य एवं चिकिसा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को भी पत्र लिखकर अस्पताल की जाँच करने के निर्देश दिए हैं।
जानकारी के मुताबिक मुरैना के रहने वाले अतुल गोयल ने 2017 में अपने पिता वासुदेव गोयल को उलटी एवं पेट में दर्द की शिकायत के चलते ग्वालियर के बिरला अस्पताल में भर्ती कराया था, जब डॉक्टर्स ने मरीज की जाँच की तो उन्हें अम्लीकल हर्निया नमक बीमारी निकली जिसका ऑपरेशन बताया गया।
ऑपरेशन के बाद मरीज की हालत बिगड़ी फिर मौत हो गई
डॉ दीपक प्रधान ने मरीज की सर्जरी की जिसके बाद उनकी तबियत बिगड़ी और उनकी मौत हो गई, अतुल गोयल ने इलाज में लापरवाही की शिकायत मुरैना उपभोक्ता फोरम में की, आवेदक ने अपनी शिकायत में कहा कि मरीज वासुदेव की सर्जरी के बाद उनके इलाज में लापरवाही बरती गई जिससे उनकी मौत हो गई।
मरीज की साँस नली में फंस गई थी उलटी, नहीं हो सका समय पर इलाज
शिकायत में अतुल गोयल द्वारा बताया गया कि ऑपरेशन के बाद उसके पिता को उलटी हुई जो उनकी सांस नली में फंस गई, जिसे निकालने के लिए वहां कोई क्वालिफाइड डॉक्टर मौजूद नहीं था, वहां मौजूद एक ड्यूटी डॉक्टर ने उनका इलाज किया लेकिन उनके पिता की मौत हो गई।
मरीज के डेथ नोट्स में स्पेलिंग की कई गलतियाँ
उपभोक्ता फोरम में आवेदक का पक्ष रखने वाले एडवोकेट मनोज उपाध्याय ने बताया जिस ड्यूटी डॉक्टर ने मरीज के डेथ नोट्स बनाये थे वो अंग्रेजी में थे और उसमें बहुत से स्पेलिंग मिस्टेक थी जो साफ बताती हैं कि वे क्वालिफाइड नहीं था, जब अस्पताल से उस ड्यूटी डॉक्टर की क्वालिफिकेशन के बारे में डिटेल मांगी गई तो प्रबंधन ने कहा कि वो डॉ दीपक प्रधान ही बताएँगे।
BIMR पर उपभोक्ता फोरम ने लगाया 8 लाख रुपये का जुर्माना
मामले की सुनवाई के बाद उपभोक्ता फोरम मुरैना ने मरीज की मौत को इलाज में लापरवाही माना और बिरला अस्पताल पर 8 लाख रुपये जुर्माना और 8 हजार रुपये अन्य मद में मरीज को देने के निर्देश दिए हैं, साथ ही मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया की एमपी ब्रांच को एवं मप्र शासन के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को निर्देश दिए हैं कि वे निजी अस्पतालों की व्यवस्थाओं की जाँच करें और फोरम को इसकी जानकारी दें।