Gwalior News : पुलिस के प्रधान आरक्षक ने फेंका था मासूम का शव, हिरासत में

Atul Saxena
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ग्वालियर, डेस्क रिपोर्ट।  झाँसी रोड थाना क्षेत्र में मिले दतिया के एक मासूम के शव को पुलिस के प्रधान आरक्षक ने दतिया से लौटते समय ग्वालियर (Gwalior Police) में फेंका था। घटना के बाद मिले साक्ष्य के आधार पर पुलिस ने प्रधान आरक्षक की कार को बरामद कर उसे हिरासत में ले लिया है।

4 मई को दतिया में मां पीताम्बरा की रथ यात्रा देखने निकले 8 साल के मासूम मयंक सेन पिता संजीव सेन के शव की बरामदगी के बाद साक्ष्य जुटाने में दतिया पुलिस के साथ लगी ग्वालियर पुलिस को एक महत्वपूर्ण सुराग मिला, इस घटना में ग्वालियर पीटीएस तिघरा में पदस्थ एक प्रधान आरक्षक की संलिप्तता सामने निकलकर आई।

साक्ष्य मिलने के बाद ग्वालियर एसएसपी ने दतिया एसपी(Datia SP) को सूचना दी जिसके बाद दतिया पुलिस ने प्रधान आरक्षक को हिरासत में ले लिया है और घटना के विषय में पूछताछ कर रही है। जानकारी के अनुसार हिरासत में आरोपी प्रधान आरक्षक ने बताया कि उसकी ड्यूटी पीताम्बरा रथ यात्रा में थी वहां वो अपनी कार से गया था।

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लौटते में उसके साथ दो साथी प्रधान आरक्षक भी लौटे थे, उन दोनों को उसने झाँसी रोड थाने के पास छोड़ दिया था , जब वो घर पहुंचा और उसने कार देखी तो उसमें बच्चे का शव था जिसे देखकर वो डर गया और विवेकानंद तिराहे के पास साइंस कॉलेज से कुछ दूरी पर शव को फेंक कर वापस घर लौट गया।

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प्रधान आरक्षक ने बच्चे के शव को फेंकने की बात कुबूली है लेकिन अपरहरण या हत्या  जैसी बात से इंकार कर रहा है।  हालाँकि पुलिस को उसकी बात पर भरोसा नहीं हो रहा है क्योंकि उसकी कार में बच्चे का शव था, दो और पुलिसकर्मी भी साथ थे और उन्हें कैसे पता नहीं चला ये समझ से परे है।

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ग्वालियर एसएसपी अमित सांघी (Gwalior SSP Amit Sanghi) का कहना है कि मामला गंभीर है अभी तक जो साक्ष्य मिले हैं उस आधार पर प्रधान आरक्षक की संलिप्तता इसमें दिखाई दे रही है, इन्वेस्टिगेशन पूरा होने के बाद ही मामला स्पष्ट हो सकेगा।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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