Gwalior News : कैलाश विजयवर्गीय बोले-भारत आज आर्थिक इंजन बन गया है, इसमें कृषि क्षेत्र का बड़ा योगदान, रॉबर्ट वाड्रा पर ली चुटकी

प्रियंका गांधी के वायनाड से लोकसभा उप चुनाव लड़ने के सवाल पर कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि ये परिवारवाद का एक बड़ा उदाहरण है, उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि मुझे तो रॉबर्ट वाड्रा पर दया आ रही है, उसने बहुत सारे जोधपुरी सूट सिलवा लिए थे चुनाव लड़ने के लिए उसका क्यों होगा?

Kailash Vijayvargiya

Gwalior News :  मध्य प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि की 17 वीं क़िस्त जारी किये जाने पर उनकी प्रशंसा की, उन्होंने कहा ये दिखाई देता है कि मोदी जी का किसानों के प्रति कितना अनुराग है।

ग्वालियर में रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस पर आयोजित वीरांगना बलिदान मेले में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने आये कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का किसानों के प्रति बहुत अनुराग है, वे जिस तरह से किसानों की उन्नति, उनकी समृद्धि और आमदनी दो गुनी करने के प्रयास कर रहे हैं उससे किसान खुश है,  इससे देश में पर कैपिटा इनकम बढ़ी, जीडीपी बढ़ी है और भारत एक आर्थिक इंजन बन गया है इसमें कृषि क्षेत्र का बड़ा योगदान है।

कैलाश विजयवर्गीय की चुटकी – रॉबर्ट वाड्रा के जोधपुरी सूटों का क्या होगा ?

कैबिनेट मंत्री ने प्रियंका गांधी के वायनाड से लोकसभा उप चुनाव लड़ने के सवाल पर कहा कि ये परिवारवाद का एक बड़ा उदाहरण है, उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि मुझे तो रॉबर्ट वाड्रा पर दया आ रही है, उसने बहुत सारे जोधपुरी सूट सिलवा लिए थे चुनाव लड़ने के लिए उसका क्यों होगा?

आपको बता दें कि राहुल गांधी वायनाड और रायबरेली सीट दोनों जगह से चुनाव मैदान में थे और उन्हें दोनों ही जगह से जीत दर्ज की थी, दो दिन पहले राहुल गांधी ने वायनाड सीट छोड़ने का फैसला ले लिया, उन्होंने रायबरेली से सांसद बने रहना तय किया, कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने बताया कि अब उप चुनाव में वायनाड सीट से प्रियंका गांधी कांग्रेस प्रत्याशी होंगी उसी के बाद से भाजपा हमलावर है और इसे परिवारवाद बता रही है, और कांग्रेस पर तंज कस रही है।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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