ग्वालियर, अतुल सक्सेना। ग्वालियर (Gwalior News) में आज दिल को झकझोर देने वाली एक ऐसी घटना सामने आई है कि उसे जिसने भी सुना उसका दिल धक् से रह गया। घटना महाराजपुरा थाना क्षेत्र की है, घटना की सूचना पर पुलिस जब घटना स्थल पर पहुंची तो कमरे का दरवाजा खोलते ही उसकी आंखें फटी रह गई। उसके सामने चार शव थे, जिसमें पति, पत्नी और दो बच्चे शामिल थे।
सामूहिक आत्महत्या की ये घटना महाराजपुरा थाना क्षेत्र के महाराजपुरा गांव की है। मुरार क्षेत्र में नदी पार टाल पर रहने वाला जितेंद्र बाल्मीक महाराजपुरा में न्यू ईरा स्कूल में 8000 रुपये महीने की नौकरी करता था, वो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी था। वो आठ दिन पहले ही यहाँ रहने आया था।
आज उसके परिजनों के पास फोन पहुंचा कि जितेंद्र ने परिवार सहित आत्महत्या कर ली है। मौके पर जब पुलिस पहुंची तो कमरे का दरवाजा खोलते ही उसके होश उड़ गए। जितेंद्र का शव फांसी पर झूल रहा था और पास में ही उसका 4 साल का बेटा कुलदीप भी फांसी पर लटका था, जमीन पर जितेंद्र की पत्नी निर्मला और डेढ़ साल की बेटी जान्हवी मृत पड़े थे।
घटना स्थल को देखने से पता चल रहा था कि जितेंद्र ने पहले पत्नी और बेटी को जहर दिया होगा क्योंकि उनके मुंह से झाग निकल रहे थे। पत्नी और बेटी की मौत के बाद जितेंद्र ने बेटे को फांसी पर लटकाया और फिर खुद फांसी पर झूल गया होगा।
पुलिस ने तत्काल फोरेंसिक एक्सपर्ट बुलवाये, सभी साक्ष्य इकठ्ठा किये, पड़ोसियों से पूछताछ की और शवों को पीएम के लिए भेज दिया। जितेंद्र के भाई धर्मेंद्र का रो रो कर बुरा हाल था, वो कह रहा था भैया को कोई दिक्कत नहीं थी पता नहीं उन्होंने ऐसा क्यों किया? उधर पुलिस भी सामूहिक आत्महत्या की सभी एंगल से जाँच कर रही है। मौके से सुसाइड नोट भी नहीं मिला है। पड़ोसी भी ज्यादा कुछ नहीं बता पा रहे हैं।
बहरहाल घटना के बाद से महाराजपुरा गांव में सन्नाटा पसरा है, लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि पूरा परिवार ही ख़तम हो गया। पड़ोसी घटना से पहले पति पत्नी के बीच झगड़े की बात बता रहे हैं लेकिन वो इसे सामान्य बता रहे हैं। अंदाजा लगाया जा रहा है कि गृह क्लेश और आर्थिक तंगी आत्महत्या का कारण हो सकता है लेकिन इसकी पुष्टि पुलिस की विस्तृत जांच के बाद ही हो सकेगी।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....