Gwalior News : चुनाव के चक्कर में बेइलाज पशु, पशु चिकित्सालय स्टाफ की लगी ड्यूटी, गेट पर लटका ताला, पालक परेशान

MP Election 2023

Gwalior News : मप्र में चुनाव प्रक्रिया तेज है, निर्वाचन कार्य में ड्यूटी के लिए जिला निर्वाचन अधिकारी शासकीय अधिकारियों और कर्मचारियों की ड्यूटी लगा रहे हैं, उनका प्रशिक्षण जारी है लेकिन इन सबके बीच बेजुबान जानवर परेशान हैं, इसकी वजह ये है कि ग्वालियर जिला प्रशासन ने पशु चिकित्सालय में पदस्थ डॉक्टर्स और स्टाफ  की चुनाव ड्यूटी लगा दी है, सोमवार को इन सभी की ट्रेनिंग थी तो अस्पताल ही नहीं खुला, पशुपालक अपने बीमार बेजुबान को लेकर अस्पताल पहुंचे और वहां लटके ताले और नोटिस को देखकर बिना इलाज के ही बैरंग लौट गए, प्रशासन की इस व्यवस्था पर पशुपालकों ने नाराजी जताई है।

चुनावों का असर बेजुबानों के इलाज पर भी 

17 नवंबर को मध्य प्रदेश विधानसभा की 230 सीटों के लिए मतदान होगा, प्रदेश के सभी जिलों में चुनाव ड्यूटी के लिए तैनात शासकीय कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चल रहे हैं, ग्वालियर में भी रोज प्रशिक्षक जारी हैं, लेकिन चुनाव के इस प्रशिक्षण कार्यक्रम से बेजुबान पशु पक्षियों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा, चौंकिए नहीं ये इसलिए हुआ क्योंकि जिला प्रशासन ने पशु चिकित्सालय के स्टाफ की ड्यूटी चुनाव में लगा दी तो अस्पताल पर ताला लटका दिया गया।

स्टाफ चुनाव ड्यूटी में, संभागीय पशु चिकित्सालय पर लटका ताला  

दरअसल ग्वालियर में संभागीय पशु चिकित्सालय है यहाँ ग्वालियर सहित आसपास के जिलों से पशु पालक अपने बीमार पशु अथवा पक्षी को लेकर इलाज के लिए आते हैं, सोमवार को जब वे अस्पताल पहुंचे तो गेट पर ताला लटका था, पूछने पर उन्हें चला कि अस्पताल के डॉक्टर्स और स्टाफ की चुनाव में ड्यूटी लगाई गई है और सभी लोग ट्रेनिंग में गए हैं इसलिए इलाज नहीं हो सकेगा।

नाराज हुए पशुपालक, बिना इलाज के बीमार पशु को लेकर लौट गए  

पशु पालकों को प्रशासन की इस व्यवस्था पर हैरानी हुई और उन्होंने नाराजगी जताई, गाय का इलाज कराने दूर गांव से आये बुजुर्ग मायाराम बघेल ने कहा कि वे बीमार गाय को दिखाने आये थे लेकिन बता दिया कि आज छुट्टी है तो लौट रहे हैं, स्ट्रीट डॉग्स की सेवा करने वाले युवा उत्कर्ष राजावत बोले मैं सड़क पर बीमार मिले एक डॉगी को लेकर आया था लेकिन यहाँ अस्पताल बंद है, चुनाव में डॉक्टर्स की ड्यूटी लगाई है स्टाफ भी नहीं है ये गलत है एक डॉक्टर तो होना चाहिए था इनके इलाज के लिए ।

बड़ा सवाल, चुनावों से बेजुबानों का क्या लेना देना ?

अस्पताल के बाहर कैमिस्ट शॉप चलाने वाले भागीरथ सिंह ने कहा कि सबकी चुनाव ड्यूटी लगा दी है, तो अस्पताल में ताला लटका है ये पहली बार हुआ है कि अस्पताल में ताला लटका , पहले चुनावों में ऐसा कभी नहीं हुआ, बेजुबानों का चुनाव से क्या  लेना देना, उधर अस्पताल में पदस्थ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी विजय लहारिया ने बताया कि सभी लोग निर्वाचन में हैं इसलिए अस्पताल बंद हैं।

नाराज पशुपालकों बोले, प्रशासन को बेजुबानों का दर्द नहीं दिखता 

आपको बता दें कि संभागीय पशु चिकित्सालय में  सिविल सर्जन सहित चार पशु चिकित्सक पदस्थ हैं इसके अलावा दो प्यून और एक सफाईकर्मी है, यहाँ लगभग 80 – 90 पशु रोज ओपीडी में आते हैं इसके अलावा ऑपरेशन, सोनोग्राफी वाले और गंभीर हालत वाले अलग आते हैं ऐसे में सोमवार को यहाँ हालात बहुत ख़राब रहे, बहरहाल लोकतंत्र में जितना महत्व मतदान और इंसान का है उतना ही हक़ इन बेजुबानों का भी है, उम्मीद की जा सकती है कि जिला प्रशासन बेजुबानों की खातिर कम से कम एक चिकित्सक और सपोर्टिंग स्टाफ को चुनाव ड्यूटी से मुक्त कर दे जिससे किसी बेजुबान की जान चुनाव के चलते बिना इलाज के ना हो जाये।

ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट 


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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