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Gwalior:सामने आई पुलिस की बर्बरता की तस्वीरें, हड़ताल पर जा सकते हैं डॉक्टर

ग्वालियर, अतुल सक्सेना। ग्वालियर के मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टरों के साथ पुलिस की बर्बरता की तस्वीरें सामने आई है। इन तस्वीरों में मेडिकल छात्रों के शरीर पर पिटाई के निशान साफ दिखाई दे रहे हैं। पुलिस की इस कार्रवाई से आहत मध्य प्रदेश मेडिकल कॉलेज एसोसिएशन गुरुवार को कोई बड़ा निर्णय ले सकता है।

बुधवार को ग्वालियर में पुलिस की बर्बर पिटाई के चित्र सामने आए। दरअसल पुलिस ने यह सब कुछ एक सीएसपी के साथ छात्रों की अभद्रता के बदले में किया। पुलिस का आरोप है कि मंगलवार की रात सड़क पर बैठकर कार में शराब पी रहे मेडिकल छात्रों को जब सीएसपी ने रोका तो आरोपी जूनियर डाक्टरो ने उनकी गाड़ी की चाबी छीन ली, टायर पंचर कर दिया और मोबाइल भी छीन कर तोड़ दिया और गनर के साथ मारपीट की। मुरार सीएसपी ऋषिकेश मीणा रात्रि गश्त पर निकले थे। इतना सब कुछ हो ही रहा था कि वहां पर और भी पुलिस भी पहुंच गई और मेडिकल कॉलेज के डीन और हॉस्टल वार्डन भी। पुलिस ने कानून के अनुसार कार्रवाई का आश्वासन देते हुए जूनियर डॉक्टरों को पुलिस के सुपुर्द करने के लिए कहा लेकिन मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने से इंकार कर दिया। इसके बाद भारी संख्या में पुलिस हॉस्टल में पहुंची और डंडा चलाना शुरु कर दिया। छात्रों में अफरा-तफरी मच गई और वे बचने के लिए आसपास की छतों पर कूदने लगे। इस दौरान कुछ छात्र गिरकर घायल भी हुए। पुलिस ने छात्रों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। कुछ छात्रों को पुलिस हिरासत में ले गई और उनके खिलाफ डकैती की धारा में मामला दर्ज कर लिया। थाने में ले जाकर छात्रों की बेरहमी से पिटाई की गई जिसके निशान उनके शरीर पर साफ देखे जा सकते हैं।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।