ग्वालियर, अतुल सक्सेना। नगरीय निकाय चुनावों का घमासान पार्टी कार्यालयों में दिखाई देने लगा है। भोपाल से लेकर ग्वालियर तक कांग्रेस कार्यालयों (MP Coongress) में गहमागहमी है। भोपाल कार्यालय में नेताओं के बीच लात घूंसे चले तो ग्वालियर (Gwalior Congress) में पार्टी कार्यालय में जिला अध्यक्ष और विधायक के बीच मुंहवाद हुआ। विवाद को सुलझाने के डिनर पार्टी भी हुई लेकिन नाराजी दूर नहीं हुई और नतीजा सिफर रहा। अब सबकी पीसीसी चीफ निगाहें कमल नाथ (PCC Chief Kamal Nath) की तरफ हैं।
आपसी कलह और गुटबाजी के लिए चर्चित हो चुकी कांग्रेस नगर सरकार के लिए पूरी ताकत झोकने और भाजपा को करारी शिकस्त देने के दावे कर रही है लेकिन जो तस्वीरें सामने आ रही हैं उससे ये बहुत मुश्किल दिखाई दे रहा है क्योंकि टिकट की दावेदारी के दौरान ही नेता आपस में भिड़ रहे हैं।
ग्वालियर में रविवार को प्रदेश प्रभारी पूर्व मंत्री मुकेश नायक के सामने महापौर पद के नाम को लेकर जिला अध्यक्ष डॉ देवेंद्र शर्मा और विधायक डॉ सतीश सिंह सिकरवार में मुंहवाद हो गया (Gwalior Congress Mayor Post Controversy) । जिला अध्यक्ष बैठक छोड़कर बाहर चले गए उन्होंने इस्तीफे तक की चेतावनी दे दी। बाद में विधायक प्रवीण पाठक उन्हें मनाकर बैठक में वापस लाये।
दरअसल महापौर पद के लिए विधायक डॉ सतीश सिंह सिकरवार की पत्नी शोभा सिकरवार की दावेदारी चर्चा में है। बैठक में विधायक एवं पूर्व मंत्री लाखन सिंह ने पैरवी करते हुए मुकेश नायक से शोभा सिकरवार के नाम को अंतिम नाम तय करने की बात कह दी थी जो जिला अध्यक्ष को बहुत नागवार गुजरी थी।
मनमुटाव को दूर करने के लिए मुकेश नायक की मौजूदगी में जिला अध्यक्ष के घर डिनर पार्टी रखी गई। जिसमें पूर्व मंत्री एवं विधायक लाखन सिंह यादव, विधायक प्रवीण पाठक, विधायक डॉ सतीश सिंह सिकरवार, वरिष्ठ नेत्री रश्मि पवार शर्मा सहित चुनिंदा नेता मौजूद थे लेकिन यहाँ भी मनमुटाव खत्म नहीं हुआ। विवाद को देखते हुए पैनल में 2 नाम और जोड़ दिए गए अब मामला पीसीसी अध्यक्ष कमल नाथ के पास पहुँच गया है और नाम का अंतिम फैसला 9 जून को भोपाल में होने वाली बैठक में होगा, सबको कमल नाथ के फैसले का इंतजार है।
जिला अध्यक्ष का कहना है कि मुझे बैठक में भोपाल बुलाया है अंतिम निर्णय कमल नाथ जी लेंगे। उधर विश्वस्त सूत्रों की माने तो शोभा सिकरवार का टिकट लगभग फाइनल हो गया है बस घोषणा की औपचारिकता होना बाकी है।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....