Gwalior में कांग्रेस की पार्षद अपनी ही सरकार के खिलाफ परिषद् में धरने पर बैठी, भाजपा ने ली चुटकी

Atul Saxena
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Gwalior News : ग्वालियर नगर निगम परिषद् की बैठक में आज हंगामा हुआ लेकिन खास बात ये है कि रही कि हंगामे के केंद्र में सत्ता पक्ष यानि कांग्रेस रही, कांग्रेस की महिला पार्षद अपने वार्ड की पानी की समस्या को लेकर आसंदी के सामने धरने पर बैठ गई, उन्होंने आरोप लगाये कि पिछले 57 साल से ग्वालियर नगर निगम में काबिज रही भाजपा ने कुछ नहीं किया इसलिए उनके वार्ड की जनता परेशान है उधर भाजपा ने चुटकी ली अब तो 10 महीने से आपकी नगर सरकार है, तो अब धरना क्यों देना पड़ रहा है।

ग्वालियर नगर निगम की बैठक में आज कई बिन्दुओं पर चर्चा हुई, आसंदी से यानि सभापति ने बैठक के एजेंडे में शामिल बिन्दुओं की चर्चा के दौरान काम नहीं करने वाले ये लापरवाह और भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ एक्शन के लिए कमिश्नर को  दिशा निर्देश दिए।

इसी बीच जब अन्य बिन्दुओं पर चर्चा चल रही थी तभी सत्ता पक्ष यानि कांग्रेस की वार्ड 52 की पार्षद संध्या कुशवाह पानी समस्या को लेकर आसंदी के सामने धरने पर बैठ गई, उन्हें देखते ही सत्ता पक्ष के कई और पार्षद अपनी ही नगर सरकार के खिलाफ धरने पर बैठ गए और नारेबाजी करने लगे।

कांग्रेस पार्षदों के धरने पर बैठने पर भाजपा ने चुटकी लेते हुए कहा कि पानी की समस्या के लिए अपनी ही सरकार के खिलाफ कांग्रेस पार्षद को धरना देना पड़ रहा है ये शहर का हाल बना दिया है कांग्रेस की नगर सरकार ने। दोनों दलों के पार्षद हंगामा करते रहे, भाजपा के पार्षद कांग्रेस की नगर सरकार पर आरोप लगाते रहे तो कांग्रेस के पार्षद भाजपा की प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते रहे, हंगामे के चलते सभापति ने कुछ देर के लिए बैठक स्थगित कर दी।

अपनी ही सरकार के खिलाफ धरना देने वाली कांग्रेस पार्षद संध्या कुशवाह ने उनसे ऐसा करने पर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि हम जनता की लड़ाई लड़ रहे हैं, मेरे वार्ड की जनत अपानी के लिए परेशान है इसलिए धरना देना पड़ा, जब उनसे कहा गया कि सरकार तो आपकी ही है फिर धरना क्यों देना पड़ रहा है? जवाब में संध्या कुशवाह ने कहा कि 57 साल से नगर निगम में भाजपा  की सरकार थी , मेरे वार्ड में पिछला पार्षद भी भाजपा का था लेकिन कोई काम नहीं हुआ, यदि मैं भी चुप रही तो जनता की समस्या कैसे दूर होगी?

उधर इस मामले में सभापति मनोज तोमर कांग्रेस को घेरते दिखाई दिए, उन्होंने कहा कि शहर की पेयजल समस्या को भाजपा ने दूर किया है, पहले समस्या इतनी विकराल हुआ करती थी कि मटके फूटते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है, भाजपा ने जहाँ पेयजल की समस्या थी वहां टेंकरों से पानी पहुँचाया लेकिन अब हालात ये है कि कांग्रेस पार्षद को अपनी ही सरकार के खिलाफ धरना देना पड़ रहा है।

आपको बता दें कि ग्वालियर नगर निगम परिषद् का गणित बहुत बिगड़ा हुआ है, यहाँ महापौर कांग्रेस की डॉ शोभा सिकरवार हैं यानि नगर सरकार कांग्रेस की है लेकिन सभापति मनोज तोमर भाजपा के हैं, इसलिए जब दोनों दलों के पार्षद एक दूसरे के ऊपर आरोप लगाते है तो कभी कभी भूल जाते हैं कि आरोप किस पर लग रहे हैं? चूँकि प्रदेश में भाजपा की सरकार है और ग्वालियर नगर में कांग्रेस की नगर सरकार तो यहाँ सामंजस्य बैठा पाना बहुत कठिन मसला है।

ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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