ग्वालियर।अतुल सक्सेना| कोरोना (Corona) के कारण आदमी घर में बैठा है, उद्योग धंधे, व्यापार सब बंद होने से आमदनी ठप है बावजूद इसके नगर निगम ग्वालियर (Municipal Corporation Gwalior) जनता पर संपत्ति कर (property tax) का बोझ बढ़ाना चाहती है। निगम आयुक्त ने संपत्ति कर की वर्तमान दरों में 50 प्रतिशत तक की वृद्धि का प्रस्ताव बनाया है लेकिन ये प्रस्ताव स्वीकृत होता उससे पहले ही इसका विरोध शुरू हो गया है। चैंबर अॉफ कॉमर्स ने इस प्रस्ताव को तत्काल वापस लेने की मांग की है।
चैंबर ऑफ कॉमर्स (Chamber of Commerce) ने इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि पूर्व में ऐसे ही प्रस्ताव का विरोध किया गया था तथा इस संबंध में नगर निगम आयुक्त को पत्र दिए गए थे । बावजूद इसके निगमायुक्त द्वारा आवासीय कॉलोनियों के भवनों पर 30 से 40% और औद्योगिक क्षेत्रों में 23 से 50% की वृद्धि किए जाने का एक प्रस्ताव प्रशासक नगर निगम एमबी ओझा की ओर भेजा गया है, जिसका चैंबर ऑफ कॉमर्स ने तीव्र विरोध करते हुए, प्रस्ताव को तत्काल निरस्त किए जाने की माँग की है ।
चैंबर अध्यक्ष विजय गोयल, संयुक्त अध्यक्ष प्रशांत गंगवाल, उपाध्यक्ष पारस जैन, मानसेवी सचिव डॉ. प्रवीण अग्रवाल, मानसेवी संयुक्त सचिव ब्रजेश गोयल एवं कोषाध्यक्ष वसंत अग्रवाल ने कहा है कि वर्तमान समय में जबकि विश्वव्यापी महामारी को देखते हुए पिछले एक माह से अधिक समय से भारत में लॉक डाउन है, जिसके कारण सभी प्रकार की औद्योगिक एवं व्यापारिक गतिविधियाँ एकदम ठप पड़ी हुई है और इसके आर्थिक रूप से परिणाम काफी दूरगामी होंगे । ऐसी विषम परिस्थितियों में जबकि कारोबार बंद हैं और इसका असर लगभग एक वर्ष तक रहने वाला है । इसे ध्यान में रखते हुए सम्पत्ति कर की दरों में किसी भी प्रकार की वृद्धि किया जाना किसी भी प्रकार से उचित नहीं है ।
चैंबर पदाधिकारियों ने इसे निरस्त करने की मांग करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, ग्वालियर सांसद विवेक नारायण शेजवलकर, पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित प्रमुख सचिव, नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग, म. प्र. शासन एवं प्रशासक, नगर-निगम, ग्वालियर को पत्र लिखा और कहा है कि शहर के व्यवसाईयों, उद्यमियों सहित आमजनता की कोविड-19 से उत्पन्न परेशानियों को ध्यान में रखते हुए यह आवश्यक है कि सम्पत्ति कर की दरों में किसी भी प्रकार की वृद्धि नहीं की जाए और यदि इसके बावजूद भी नगर-निगम द्वारा सम्पत्ति कर की दरों में किसी भी प्रकार की वृद्धि की जाती है, तो शहर के व्यवसाई एवं उद्यमी इसके विरोध में आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे।