ग्वालियर, अतुल सक्सेना। जन्माष्टमी (Janmashtami 2022) के मौके पर ग्वालियर के रियासतकालीन गोपाल मंदिर में बिराजे श्री राधा कृष्ण (Shri Radha Krishna) का मनोहारी श्रृंगार किया गया। बेशकीमती पन्ने, माणिक, मोती जड़े सोने चांदी के गहनों को भारी सुरक्षा के बीच मंदिर लाया गया और फिर भगवान का अभिषेक कर विशेष श्रृंगार किया गया। महापौर और नगर निगम कमिश्नर ने भगवान श्री राधा कृष्ण की पूजा की उसके बाद मंदिर के पट भक्तों के लिए खोल दिए गए।
फूलबाग परिक्षेत्र में स्थित सिंधिया रियासत काल के करीब 102 साल पुराने गोपाल मंदिर (Gopal Mandir Gwalior of Scindia State) पर आज ग्वालियर नगर निगम जन्माष्टमी महोत्सव (Krishna Janmashtami 2022) मना रहा है। हर साल की तरह आयोजित किये जाने वाले इस आयोजन में विशेष इंतजाम किये गए हैं। 100 करोड़ रुपये से ज्यादा कीमत के बहुमूल्य गहनों को देखते हुए सुरक्षा के विशेष इंतजाम किये गए हैं।
परंपरा के अनुसार आज जन्माष्टमी के दिन सुबह भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच बेशकीमती गहनों को बैंक के लॉकर से निकाला गया। उसे मंदिर में लाकर उनका लिस्ट के हिसाब से मिलान किया गया और उनकी सफाई कर भगवान श्री राधा कृष्ण का श्रृंगार किया गया। श्रृंगार के बाद अभिषेक हुआ फिर भक्तों के दर्शनों के लिए मंदिर के पट खोल दिए गए। मंदिर के आसपास सीसीटीवी लगाए गए हैं , पुलिस फ़ोर्स तैनात है , पल पल की वीडियोग्राफी कराई जा रही है।
मनोहारी है भगवान राधा कृष्ण का श्रृंगार
श्री गोपाल मंदिर (Gwalior Gopal Mandir) में बिराजे श्री राधा कृष्ण का श्रृंगार सिंधिया राजवंश द्वारा 100 साल से भी ज्यादा समय पहले अर्पित किये गए बेशकीमती गहनों से किया गया। करोड़ों रुपये कीमत के गहनों में सफेद मोती वाला पंचगढ़ी हार (लगभग ढाई लाख कीमत का), सात लड़ी हार जिसमें 62 असली मोती और 55 पन्ने शामिल हैं । सन् 2007 में इनकी अनुमानित कीमत लगभग 8 से 10 लाख रुपये आंकी गई थी, इसके अलावा सोने के तोड़े तथा सोने का मुकुट श्री कृष्ण को पहनाया गया जिनकी कीमत भी लगभग 20 लाख रुपये है। ऐतिहासिक मुकुट जिसमें पुखराज और माणिक जणित पंख हैं तथा बीच में पन्ना लगा है, तीन किलो वजन के इस मुकुट की कीमत आज की दरों पर लगभग 80 से 90 लाख के बीच आंकी गई है तथा इसमे लगे 16 ग्राम पन्ने की कीमत लगभग 6,46,000/- आंकी गई।
ऐतिहासिक गोपाल मंदिर (Historical Gopal Mandir Gwalior) में श्री राधा कृष्ण के नखशिख श्रृंगार के लिये लगभग साढ़े पांच लाख रुपये के गहने उपलब्ध हैं जिनमें श्रीजी तथा राधा के झुमके, सोने की नथ, कण्ठी, चूड़ियां, कड़े इत्यादि से भगवान को सजाया गया। भगवान के भोजन इत्यादि के लिये भी प्राचीन बर्तनों की सफाई कर इस दिन भगवान का भोग लगाया गया। लगभग 25 लाख रुपये कीमत के चांदी के विभिन्न बर्तनों से भगवान का भोग लगा । इस अवसर पर भगवान की समई, इत्र दान, पिचकारी, धूपदान, चलनी, सांकड़ी, छत्र, मुकुट, गिलास, कटोरी, कुंभकरिणी, निरंजनी आदि सामग्रियों का भी प्रदर्शन किया गया ।
2007 से चल रही है परंपरा
नगर निगम कमिश्नर किशोर कन्याल ने बताया कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर पुलिस बल के साथ बैंक लाॅकर से भगवान के आभूषण तथा श्रृंगार सामग्री एवं पात्र निकालकर लाये 2007 से ये परंपरा चली आ रही है। हम सौभाग्यशाली हैं कि इसके साक्षी बने हैं। उन्होंने बताया कि भगवान के अभिषेक और आरती के बाद भक्तों को दर्शनों के लिए मंदिर के पट खोल दिए गए हैं। उन्होंने बताया रात्रि में 1 बजे के बाद भगवान के उक्त आभूषण पुलिस बल के साथ जिला कोषालय में जमा कराये जायेंगे। उन्होंने बताया कि सुरक्षा की दृष्टि से सम्पूर्ण मंदिर में पुलिस बल तथा सीसीटीवी कैमरे लगाकर वीडियोग्राफी की जाएगी। महापौर डॉ शोभा सिंह सिकरवार ने ग्वालियरवासियों को जन्माष्टमी की शुभकामनायें दी हैं।
About Author
Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....