ग्वालियर।अतुल सक्सेना। जीवाजी विश्वविद्यालय अपनी कारगुजारियों के लिए हमेशा चर्चा मे बन रहता है। यहाँ छात्रों की परेशानी के लिए छात्र संगठन आंदोलन करते रहते हैं लेकिन जेयू के अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही बदस्तूर जारी है। ताजा उदाहरण चौंकाने वाला है। जिसमें एक छात्र को अपनी मार्कशीट के लिए जेयू के स्टाफ ने 23 चक्कर लगवा दिये जिसमें उसके 16,000 रुपए खर्च हो गए।
दरअसल श्योपुर पीजी कॉलेज के छात्र त्रिलोक नागर ने 2016 में बीएससी फाइनल ईयर की परीक्षा दी थी। उसका परीक्षा परिणाम आधार पाठ्यक्रम मे अनुपस्थित बताकर रोक दिया गया था। लेकिन छात्र ने कॉलेज से अपनी उपस्थिति लाकर विश्वविद्यालय में जमा कर दी फिर भी उस मार्कशीट नहीं दी। छात्र ने कुलपति सचिवालय में 23 नवंबर 2019 को आवेदन दिया उसके बाद मार्कशीट के नाम पर छात्र को विश्वविद्यालय ने 23 बार बुलाया। छात्र श्योपुर से भी द्वारा ग्वालियर आया इस दौरान उसके, 16,100 रुपये भी खर्च हुए लेकिन फिर भी उस मार्कशीट नहीं दी गई। छात्र फिर कुलपति सचिवालय पहुंचा। कुलपति के निर्देश के बाद जब मामले की पड़ताल की गई तो छात्र की कॉपी पर अंकों पर व्हाइटनर लगा था इसलिए अंक मान्य नहीं किये गए। इसे बाद कुलपति सचिवालय के निर्देश पर परीक्षा समिति ने मामले पर संज्ञान लेते हैं छात्र की मार्कशीट तैयार करवाई। तब कहीं जाकर छात्र त्रिलोक नागर को मार्कशीट मिल पाई। बहरहाल मार्कशीट तो मिल गई लेकिन छात्र के तीन साल और भारी पैसा इसमें बर्बाद हो गया इसकी जवाबदेही लेने के लिए कोई तैयार नहीं है। किसी ने सही कहा है ” अंधेर नगरी चौपट राजा” ये कहावत जीवाजी विश्वविद्यालय पर एकदम सटीक बैठती है।