कार्यशाला में बोले न्यायाधिपति अरुण मिश्रा – मानसिक रोगियों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार नहीं होना चाहिए

ग्वालियर, अतुल सक्सेना।  न्यायाधिपति अरुण मिश्रा (Justice Arun Mishra) ने कहा है कि मानसिक रोगियों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार नहीं होना चाहिए। उनका भी सामान्य मनुष्य की तरह मानव अधिकार है। मानसिक आरोग्यशालाओं में उपचार करा रहे मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ-साथ आदर्श सुविधाएँ भी मुहैया होना चाहिए। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग एवं राज्य शासन के सहयोग से आयोजित कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने यह बात कही।

बुधवार को ग्वालियर (Gwalior News) के एक स्थानीय होटल में आयोजित कार्यशाला में आरोग्यशाला को और बेहतर बनाने के संबंध में महत्वपूर्ण चर्चा हुईं। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायाधिपति अरुण मिश्रा ने कहा है कि ग्वालियर की मानसिक आरोग्यशाला (Gwalior Mansik Arogyashala) को आदर्श बनाने के लिये एक दीर्घकालिक कार्ययोजना तैयार की जाए। आरोग्यशाला में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ-साथ मरीजों के लिये भी आदर्श सुविधायें उपलब्ध हों। आरोग्यशाला में मरीज को इलाज के साथ-साथ योग एवं अन्य थैरेपियों के माध्यम से भी इलाज हो, ऐसे भी प्रबंध किए जाएं।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....