मर गए सरकार! ना बिका बाजरा, ना बिकी ज्वार

Gwalior News

Jwar Bajra Mandi Rates MP : एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोटे अनाज यानी श्री अन्न को लेकर भारत के लोगों को जागरूक करते हैं इसके इस्तेमाल को बढ़ावा देने की बात करते हैं, भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण श्री अन्न विकास योजना को बढ़ावा देने की बात करती हैं, भारतीय बाजार अनुसंधान संस्थान को सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस बनाने की बात करती हैं, तो वहीं दूसरी और मध्य प्रदेश में मोटा अनाज उगने वाले किसान दर दर की ठोकर खाते हैं और श्री अन्न उगाकर भी श्री की यानी लक्ष्मी यानी धन की आस में बैठे रहते हैं।

इस साल भी किसानों को नहीं मिल रही ज्वार बाजरा की सही कीमत 

निर्धारित समर्थन मूल्य पर फसल खरीदने और श्री अन्न उगाने वाले किसानों को खास सुविधा देने की सरकार की मंशा को सरकारी अफसर कैसे चूना लगा रहे हैं ये ग्वालियर जिले में देखा जा सकता है, यहाँ दूसरे साल भी किसानों को ज्वार और बाजरा की सही कीमत नहीं मिल रही, सरकारी खरीदी केंद्रों पर समर्थन मूल्य पर खरीदी नहीं होने से किसान बाजार में कम दामों में फसल बेचने पर मजबूर है।

ख़राब क्वालिटी बताकर खरीदी केंद्रों ने लौटा दिया

आपको बता दें कि इस साल ज्वार 3180 रुपये प्रति क्विंटल से 3225 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर खरीदी जाना है और बाजरा 2500 रुपये प्रति क्विंटल के समर्थन मूल्य पर ख़रीदा जाना है लेकिन किसानों को ख़राब क्वालिटी की बात कहकर लौटा दिया जा रहा है, शुक्रवार तक ग्वालियर जिले के खरीदी निल थी, जबकि जिले में 62 किसानों ने स्लॉट बुक किये थे, गौरतलब है कि जल्दी ही ये खरीदी केंद्र बंद हो जायेंगे क्योंकि खरीद करने की अंतिम तारीख 21 दिसंबर है।

मज़बूरी में कम कीमत पर फसल बेच रहा किसान  

उधर सरकारी खरीद नहीं होने का फायदा व्यापारियों ने खूब उठाया, शुरुआत में किसानों को ज्वार के रेट 2950 प्रति क्विंटल तक मिले लेकिन अब घटते घटते 2500 से 2700 तक आ गए, इसी तरह मंडी में बाजरा 2000 रुपये प्रति क्विंटल से 2100 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से व्यापारी खरीद रहा है, स्पष्ट है कि मज़बूरी में किसान समर्थन मूल्य से कम पर फसल बेच रहा है और सरकार आँख बंद करे हुए देख रही है।

अब तो रियायत की उम्मीद कम ही है 

जिले के किसानों की ज्वार और बाजरा की फसल को खरीदी केंद्रों ने तय मानक स्तर की क्वालिटी से कम का बताकर नहीं ख़रीदा , जब क्वालिटी की जाँच की बात की गई तो जाँच टीम ने आकर ज्वार और बाजरा की फसल की जाँच कर उसकी रिपोर्ट सरकार को भेज दी , चूँकि केंद्र सरकार ही खरीदी में कोई रियायत दे सकती है लेकिन 21 दिसंबर को खरीदी बंद हो जाएगी और अभी तक कोई नया आदेश आया है तो ऐसे में उम्मीद बहुत कम रह जाती है कि किसानों को कोई रियायत मिल पाए।

बहरहाल किसानों को अन्न दाता कहा जायेगा, ज्वार बाजरा को श्री अन्न कहा जायेगा, भाषणों में बड़ी बड़ी बातें कहीं जाएँगी, सरकार वादे भी बड़े बड़े करेगी , प्रधानमंत्री योजनायें बता कर वाहवाही लूटेंगे लेकिन जब जमीन पर देखेंगे तो किसान हमेशा की तरह व्यापारियों से ठगता हुआ है दिखाई देगा।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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