Jyotiraditya Scindia paid tribute to Ratan Tata: देश के दूसरे सर्वोच्च सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित भारत माता के सपूत रतन टाटा की पार्थिव देह को नेशनल सेंटर फॉर परफोर्मिंग आर्टस में लोगों के दर्शनार्थ रखा गया है, शाम को उनका अंतिम संस्कार पारसी रीती रिवाजों से ना होकर वर्ली स्थित इलेक्ट्रिक शव दाह गृह में होगा, रतन टाटा को श्रद्धांजलि देने वाले उनके कामों, देश के लिए किये योगदान और उनके साथ बिताये पलों को याद कर रहे हैं, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रतन टाटा से अपने व्यक्तिगत रिश्ते और सिंधिया परिवार और टाटा परिवार की चार पीढ़ी पुराने रिश्तों को याद कर भावुक हो गए, उन्होंने कहा कि मेरे मोबाइल में रतन टाटा जी का नंबर है लेकिन अफ़सोस मैं अब उन्हें कभी फोन नहीं कर पाऊंगा।
सिंधिया ने कहा ये देशकी बहुत बड़ी क्षति देश ने आज एक सच्चा सपूत खो दिया है, जिस सपूत ने अपनी द्रढ़ता, संकल्प, क्षमता के साथ केवल टाटा समूह का नाम विश्व में अंकित नहीं किया बल्कि भारत के तिरंगे की भी शान बढ़ाई, , रतन टाटा वास्तव में एक टाइटन थे , बहुत कम लोग होते हैं जिनेमं रिक्स लेने की क्षमता होती है, रतन टाटा में ये थी और उन्हें क्षमता विरासत में मिली।
रतन टाटा को याद कर भावुक हुए Jyotiraditya Scindia
सिंधिया ने याद करते हुए कहा कि ये क्षमता सर जमशेद जी टाटा में थी, जब उन्होंने टाटा स्टील स्थापित की तब माधव महाराज के साथ उनका सम्बन्ध बना, तब माधव महाराज ने भी उसमे अपना योगदान दिया, यही क्षमता उनके पुत्र जेआरडी टाटा में थी, 1942 में एयर इंडिया की शुरुआत उन्होंने की और मेरे आजोबा (दादाजी) जीवाजी राव सिंधिया का सम्बन्ध उनके साथ रहा तब वे एयर इंडिया को ग्वालियर में लाये।
Ratan Tata में दूर द्रष्टि थी, मजबूत इच्छा शक्ति थी
और यही क्षमता रतन टाटा में थी उन्होएँ इंग्लैड में टेटली कंपनी बनाई, कोरस इस्पात के क्षेत्र में बनाई, आम आदमी के लिए टाटा नैनो बनाई फिर जेगुआर लेंड रोवर खरीदी , टीसीएस की स्थापना की, सबसे महत्वपूर्ण बात ये थी कि उनमें दूर द्रष्टि थी मजबूत इच्छा शक्ति थी वे बहुत ही अच्छे इन्सान थे।
Scindia School Fort के वार्षिकोत्सव को ज्योतिरादित्य ने किया याद
याद करते हुए ज्योतिरादित्य ने कहा, मेरा रिश्ता 10 साल की उम्र में शुरू हुआ , मैं मुंबई में अपने पिता माधव महाराज के साथ उनसे मिला, 42 साल का ये सफ़र मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण रहा है, हमने 2016 में ग्वालियर में सिंधिया स्कूल एक वार्षिक उत्सव में रतन टाटा को आमंत्रित किया था 80 साल की उम्र में उन्होंने एक एक बच्चे से बात की, बच्चे उनके साथ फोटो ले रहे थे ऑटो ग्राफ ले रहे थे वे एक पीढ़ी के इन्सान नहीं थे वे कई पीढ़ियों के इन्सान थे।
Ratan Tata का जाना मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति
सिंधिया ने कहा मैं दो साल पहले उनके मुंबई स्थित घर में परिवार के साथ भोजन करने गया, उन्होंने मेरे बेटे आर्यमन से भी रिश्ता बनाया, उनका जाना देश की क्षति तो है ही ये मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है, सिंधिया परिवार की चार पीढ़ियों का सम्बन्ध उनके साथ रहा, वे देश के रतन थे आज मैं अपने दिल में खालीपन महसूस कर रहा हूँ, मेरे फोन में उनका नंबर है लेकिन अफ़सोस मैं अब उन्हें कभी फोन नहीं कर पाउँगा भगवान उन्हें अपने दरबार में सबसे उच्च स्थान दे।
ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट