खरगोन बस दुर्घटना में 25 लोगों की मौत के बाद इस घटना में लापरवाही को लेकर तमाम कयास शुरू हो गए। कहीं इसे ओवरस्पीड का नतीजा बताया गया तो कहीं कहा गया कि बस में क्षमता से ज्यादा सवारियां थी। ड्राईवर को नशे में बताया गया और यह भी कहा गया कि स्टेरिंग फेल हो गया था। इन सबके बीच खरगोन पहुंचे प्रभारी मंत्री कमल पटेल ने आनन-फानन में दुर्घटना का ठीकरा परिवहन विभाग पर फोड़ दिया और एआरटीओ बरखा गौड को निलंबित करने के आदेश दे दिए।
निलंबन का विरोध
निलंबन का आदेश जारी होने के साथ ही इसका विरोध शुरू हो गया।परिवहन अधिकारी संघ ने इसके विरोध में परिवहन आयुक्त को पत्र लिखा है और इसे मनमानी पूर्ण तरीके से किया गया कार्य बताया है। संघ ने अपने पत्र में लिखा है कि खरगोन बस दुर्घटना में हुई घटना पर एसोसिएशन द्वारा शोक व्यक्त किया जाता है लेकिन क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी खरगोन को बिना किसी जांच पड़ताल के निलंबन के आदेश दिए गए हैं। जो उचित नहीं है।
संघ ने परिवहन आयुक्त को लिखा पत्र
संघ का कहना है कि परिवहन विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों द्वारा निष्ठा के साथ दायित्व की पूर्ति की जा रही है। चाहे शासकीय कार्य हो, चाहे आवश्यकता अनुसार संबंधित विभाग व जिला प्रशासन हेतु वाहन प्रबंध करना, आपदा प्रबंधन में अपने दायित्वों की पूर्ति करना हो या महिलाओं के निशुल्क वाहन चालक प्रशिक्षण करना। सीमित मानव संसाधन सहित सीमित तकनीकी संसाधनों के साथ परिवहन विभाग द्वारा निरंतर दायित्व का निर्वहन किया जा रहा है। इसी का परिणाम है कि विभाग द्वारा प्रतिवर्ष निर्धारित राजस्व में लक्ष्य से अधिक की वृद्धि दर्ज की जा रही है।
अधिकारी कर्मचारियों के हक में बोलते हुए संघ ने स्पष्ट किया है कि प्रतिवर्ष 100% से अधिक लक्ष्य प्राप्ति इस बात की ओर संकेत करती है कि विभाग के अधिकारी और कर्मचारी सीमित संसाधन में राजस्व लक्ष्य को प्राप्त कर रहे हैं और जिला प्रशासन और राज्य शासन की मंशा के अनुसार लक्ष्यों की पूर्ति पर ध्यान दे रहे हैं।
संघ कि बड़ी मांग- निर्णय पर हो पुनर्विचार
संघ का कहना है कि ऐसी स्थिति में किसी भी तरह की दुर्घटना होने पर, उसकी जांच की जानी चाहिए। जांच के पश्चात दोषी पाए जाने वाले अधिकारी कर्मचारियों पर कार्रवाई किया जाना उचित होगा किंतु बिना किसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए अधिकारी के निलंबन की घोषणा से विभाग के अधिकारी और कर्मचारी आहत हैं। इतना ही नहीं ऐसी कार्रवाई अधिकारी और कर्मचारियों के मनोबल को भी गिरा सकती हैं। संघ ने बिना जांच के अधिकारी के निलंबन की घोषणा का विरोध किया है।।वही इस मामले में संघ ने mang ग्वालियर परिवहन आयुक्त से इस कार्रवाई पर पुनर्विचार करने की मांग की है।