निजी अस्पताल की बिल्डिंग से गिरकर मजदूर की मौत, परिजनों ने सड़क पर शव रखकर किया चक्का जाम

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। ग्वालियर के इंदरगंज थाना क्षेत्र में एक निजी अस्पताल में काम कर कर रहा मजदूर गंभीर रूप से घायल हो गया। अस्पताल प्रबंधन ने उसे जयारोग्य अस्पताल पहुंचाया जहाँ डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया । परिजनों ने आरोप लगाया कि निजी अस्पताल ने उन्हें दुर्घटना की कोई सूचना नहीं दी, नाराज परिजन शव केो साथ लेकर सड़क पर बैठ गए और चक्काजाम कर दिया।

शिंदे की छावनी तिराहे पर शव को रखकर चक्काजाम की सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे। कई जनप्रतिनिधि भी वहां पहुंचे और कलेक्टर एवं अस्पताल प्रबंधक से बात कर उचित मुआवजा दिलाने का भरोसा दिया।

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बताया गया है कि खल्लासीपुरा में रहने वाले सुरेश माहौर शिंदे की छावनी तिराहे पर स्थित तिवारी हॉस्पिटल में पुताई का काम कर रहा था काम के दौरान आज सुरेश अस्पताल की बिल्डिंग से गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गया जिसे इलाज के लिए जयारोग्य चिकित्सालय भिजवाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

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मजदूर की मौत पर गुस्साए परिजन उसके शव को लेकर तिवारी हॉस्पिटल पर पहुंचे और सड़क पर शव रख चक्का जाम कर दिया। मृतक की बहन भूरी ने आरोप लगाया कि दुर्घटना की सूचना हमें नहीं दी गई और छोटे छोटे बच्चों का क्या होगा।  चक्का जाम की सूचना मिलते ही इंदरगंज थाना प्रभारी अनिल भदौरिया भी मौके पर पहुंच गए,  कांग्रेस के प्रदेश महासचिव सुनील शर्मा भी यहां हुए घटनाक्रम की जानकारी लेने पहुंचे। सुनील शर्मा ने कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह से  आर्थिक सहायता की मांग की जिसे कलेक्टर ने स्वीकार कर लिया और रेडक्रॉस से 10 हजार रुपये की तात्कालिक सहायता की बात कही।

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उधर सुनील शर्मा और पुलिस अधिकारियों ने तिवारी अस्पताल के प्रबंधक से भी आर्थिक सहायता की मांग की जिसे अस्पताल ने भी स्वीकार कर लिया। आर्थिक सहायता और मृतक के परिजन को नौकरी के आश्वासन जके बाद परिजनों ने चक्का जाम ख़त्म कर दिया।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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