लोकायुक्त पुलिस ने सहकारिता निरीक्षक को 15,000 रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना।  रिश्वत (Bribe) लेने वाले सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों के खिलाफ प्रदेश में लगातार कार्रवाई जारी है।  भ्रष्टाचार से जुड़े अधिकारियों , कमर्चारियों के खिलाफ जांच एजेंसियां सख्ती के साथ एक्शन में हैं। इसी क्रम में  ग्वालियर में आज लोकायुक्त पुलिस (Gwalior lokayukta action) की टीम ने एक सहकारिता निरीक्षक को 15 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया है।

प्राथमिक सहकारी साख समिति मर्यादित पिछोर में सेल्स मैन के पद पर कार्यरत अल्ताफ अहमद खान ने मंगलवार को लोकायुक्त पुलिस ग्वालियर के कार्यालय में शिकायत की थी कि उनकी संस्था के प्रशासक एवं सहकारिता निरीक्षक केशव सिंह टंडन ने पिछले महीने उनकी और उनके पिताजी जो समिति के प्रबंधक हैं, की बिना किसी वजह झूठा आरोप लगाकर सेवाएं समाप्त कर दी थी।

सेवाएं समाप्त होने के बाद वे जिला पंजीयक के न्यायालय में गए और सेवाएं समाप्ति के आदेश के खिलाफ स्टे ले आये और ज्वाइन कराने के लिए निवेदन किया तो केशव सिंह टंडन ने 50 हजार रुपये की डिमांड की। बहुत निवेदन के बाद वे 30 रुपये रिश्वत लेने के लिए राजी हो गए, उन्होंने 10 हजार दूसरी बार 5 हजार रुपये ले लिए और जोइनिंग लेटर के समय 15 हजार देने के लिए कहा।

फरियादी अल्ताफ ने लोकायुक्त एसपी ग्वालियर  के कार्यालय में इसकी शिकायत की, लोकायुक्त की टीम ने फरियादी को वॉइस रिकॉर्डर दिया और रिश्वत की बात रिकॉर्ड हो जाने के बाद समझाइश देकर रिश्वत देने के लिए भेजा। टीआई राघवेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि आज बुधवार को फरियादी तय समय पर रिश्वत की राशि 15 हजार रुपये लेकर उपायुक्त सहकारिता कार्यालय में पहुंचा।

फरियादी ने कार्यालय में पदस्थ सहकारी निरीक्षक केशव सिंह टंडन को जैसे ही 15 हजार रुपये रिश्वत के दिए, इशारा मिलते ही पहले से तैयार लोकायुक्त पुलिस ग्वालियर (gwalior lokayukta police action) की टीम ने उसे रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। लोकायुक्त ने जब रिश्वतखोर सहकारी निरीक्षक के हाथ धुलवाए तो पानी गुलाबी हो गया।

लोकायुक्त पुलिस ने सहकारिता निरीक्षक को 15,000 रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया

 

 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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