ग्वालियर । गजराराजा मेडिकल कॉलेज ग्वालियर की एलपीए लैब में की जा रही टीबी मरीजों की जांच कभी भी बंद हो सकती है। क्योंकि एलपीए लैब माइक्रोबायोलोजी विभाग और टीबी विभाग के बीच फंस गई है। स्टेट टीबी विभाग कॉलेज को ना तो फंड उपलब्ध करा रहा है ना स्टाफ। जिसके चलते टीबी मरीजों की जांच पर संकट खड़ा हो गया है।
टीबी के मरीजों को किस स्तर की टीबी है और उसे किस तरह के इलाज की जरूरत है इसकी जांच के लिए केंद्र सरकार के सहयोग गजराराजा मेडिकल कॉलेज में एलपीए लैब बनाई गई है। इस लैब में टीबी के मरीजों की सीबी नेट और लाइन प्रो ऐसे (एलपीए) की जांच की जाती है। एलपीए जांच उन मरीजों की जाती है जिन्हें टीबी की सामान्य दवाएं असर नहीं करती। इस जांच के बाद मरीजों का सही इलाज शुरू हो पाता है। लेकिन लैब पर स्टेट टीबी विभाग ध्यान नहीं दे रहा। लैब को ना तो फंड मिल रहा है और ना ही स्टाफ। इतना ही नहीं जांच में प्रयोग होने वाला रीजेंट भी ख़त्म हो रहा है। मेडिकल कॉलेज के पीआरओ डॉ केपी रंजन का कहना है कि रीजेंट के लिए बहुत बार अतेत टीबी विभाग भोपाल को पत्र लिखा जा चुका है हमारे पास 10 दिन का ही रीजेंट बचा है यदि जल्द रीजेंट नहीं मिला तो जांच बंद हो सकती हैं। गौरतलब है कि एलपीए लैब बनने से पहले गंभीर टीबी मरीजों को जांच के लिए भोपाल ,इंदौर या कहीं और जाना पड़ता था और कम से कम 10 हजार रुपए खर्च करने पड़ते थे। लेकिन मेडिकल कॉलेज में एलपीए लैब बन जाने से ग्वालियर चम्बल संभाग के मरीजों की निशुल्क जांच यहाँ की जा रही है। और यदि सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो इसका खामियाजा मरीजों को उठाना पड़ेगा।