ग्वालियर।अतुल सक्सेना।
कहते हैं पढ़ने का ज़ज़्बा यदि किसी के मन में है तो उम्र उसमें बाधा नहीं बनती और इसका प्रमाण ग्वालियर में उस समय देखने को मिल जब पिता और पुत्री दोनों एक साथ परीक्षा केंद्र पहुंचे। परीक्षा। देकर निकले पिता और पुत्री के चेहरे पर मुस्कुराहट थी दोनों ने कहा कि हमको एक दूसरे से मोटिवशन मिलती है।
शहर के पद्मा विद्यालय परीक्षा केंद्र का नजारा आज सुबह अलग था। हायर सेकेंडरी की परीक्षा के लिए छात्र छात्राओं की भीड़ पहुँच रही थी। बहुत से पेरेंट भी यहाँ पहुंचे थे उन्ही में से एक थे बालकिशन सैनी जो अपनी पुत्री तान्या के साथ यहाँ पहुंचे थे। शुरू में लोग समझे कि वो छोड़ने आये होंगे लेकिन जब वो भी परीक्षा कक्ष में चले गए आज हिंदी विशिष्ट का पेपर था और जब परीक्षा देकर बाहर निकले तो दोनों के चेहरे पर खुशी थी।
मीडिया ने जब उनसे सवाल किया तो उन्होंने बताया कि पारिवारिक परेशानियों के चलते वे आठवी तक ही पढ़े थे उसके बाद स्कूल नहीं जा सके। बाल किशन सैनी ने बताया कि वे अपने पिता के साथ चाट का ठेला लगाते थे पिता के देहांत के बाद वह किसी तरह दैनिक वेतन भोगी के रूप में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में काम करने लगे । लेकिन उन्होंने पढ़ाई का महत्व समझा और अपने बच्चों को पढ़ाई का अनुकूल माहौल उपलब्ध कराया और एक बार फिर पढ़ने की ठानी। बेटी तान्या अपने पिता की इस कोशिश से बेहद खुश है उसका कहना है कि पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती पिता से उस प्रेरणा मिलती है। पिता का कहना है कि वह 12वीं के बाद आगे भी पढ़ना चाहते हैं उनकी कोशिश है कि वह बैंक का नियमित कर्मचारी बन जाएं ताकि परिवार की स्थिति को सामाजिक और आर्थिक रूप से सुधारा संवारा जा सके।